शà¥à¤°à¥€ चिंतामणि पारà¥à¤¶à¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जैन शà¥à¤µà¥‡à¤¤à¤¾à¤‚बर मंदिर à¤à¥‚पतवाला, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में दिलà¥à¤²à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¥‹à¤—ीलाल लहेरचंद इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट आफ इंडोलॉजी, वलà¥à¤²à¤ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•, जैन मंदिर के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में 33वीं शà¥à¤°à¥€à¤†à¤¤à¥à¤® वलà¥à¤²à¤ गà¥à¤°à¥ˆà¤·à¥à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ शिकà¥à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ अधिगम अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी ने किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 5 जून। शà¥à¤°à¥€ चिंतामणि पारà¥à¤¶à¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जैन शà¥à¤µà¥‡à¤¤à¤¾à¤‚बर मंदिर à¤à¥‚पतवाला, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में दिलà¥à¤²à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¥‹à¤—ीलाल लहेरचंद इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट आफ इंडोलॉजी, वलà¥à¤²à¤ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•, जैन मंदिर के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में 33वीं शà¥à¤°à¥€à¤†à¤¤à¥à¤® वलà¥à¤²à¤ गà¥à¤°à¥ˆà¤·à¥à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ शिकà¥à¤·à¤£ à¤à¤µà¤‚ अधिगम अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी ने किया। इस अवसर पर डॉ. मोहन पांडेय ने मंगलाचरण à¤à¤µà¤‚ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ वंदना की। समसà¥à¤¤ अतिथियों ने दीप पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ कर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ के लिठआयोजित अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤‚ठकिया, जो à¤à¤• माह (दिनांक 5 जून से 3 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ तक) तक चलेगी। संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के निदेशक पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° गया चरण तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी ने अपने सà¥à¤µà¤¾à¤—त à¤à¤¾à¤·à¤£ में कहा कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¤à¤® à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ है जिनका विकास बारह से पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ सौ ईसा पूरà¥à¤µ आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ में हà¥à¤† था। यह पाली, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, गà¥à¤°à¥€à¤•, रोमन जैसी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की समकालीन रही है जो दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤µà¤¶ समय के साथ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होती जा रही है। धà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि à¤à¥‹à¤—ीलाल लहेरचंद इंसà¥à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥‚ट आफ इंडोलॉजी के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विगत 32 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ किठजाने का उपकà¥à¤°à¤® किया जाता रहा है। इसके पहले के सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤“ं का आयोजन दिलà¥à¤²à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वलà¥à¤²à¤ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• जैन मंदिर में ही होता रहा था। इस वरà¥à¤· पहली बार पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के तौर पर इसका आयोजन दिलà¥à¤²à¥€ से बाहर à¤à¥‚पतवाला सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जैन मंदिर, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में किया गया है, जिसमें पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦ à¤à¤• साथ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ करेंगे। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी ने कहा कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अटूट संबंध है, पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में ही जैन साहितà¥à¤¯ और धरà¥à¤® गà¥à¤°à¤‚थों की रचना हà¥à¤ˆ है। यह अखंड à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी जो विलà¥à¤ªà¥à¤¤ होती जा रही है। जिनाचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया और इस को समृदà¥à¤§ किया। पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी ने इस कारà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¤¾, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ का आयोजन करने के लिठआयोजकों को बधाई दी। इस कारà¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, दिलà¥à¤²à¥€, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°, पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ आदि देश के अनेक राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से शिकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ शामिल हà¥à¤ हैं। इस अवसर पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, जयपà¥à¤° परिसर के कमलेश कà¥à¤®à¤¾à¤° जैन ने धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ किया जबकि शà¥à¤µà¥‡à¤¤à¤¾ जैन, जयनाराण वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, जोधपà¥à¤° सहित अनेक विदà¥à¤µà¤¤à¤œà¤¨ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का मंच संचालन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक वाचसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ ने किया।