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पारिस्थितिकी तंत्र के पुर्नस्थापना एवं चुनौतियां विषय पर आज एक वैबिनार


विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्थानीय एस एम जे एन पी जी कालेज के द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र के पुर्नस्थापना एवं चुनौतियां विषय पर आज एक वैबिनार का आयोजन किया गया|

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 5 जून ,2022, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्थानीय एस एम जे एन पी जी कालेज के द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र के पुर्नस्थापना एवं चुनौतियां विषय पर आज एक वैबिनार का आयोजन किया गया| इस अवसर पर कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया के 17 विशाल विविधतापूर्ण देशों में से भारत एक है। इस के बावजूद भी यहां पर कई पौधों और जानवरों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। गंभीर खतरे और अन्य विलुप्तप्राय पौधों तथा पशु प्रजातियों की रक्षा करने के लिए सरकार ने कई कदम, कानून और नीतिगत फैसलों को अपनाया है। इन से भविष्य में पर्यावरण एवं परिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी। डॉ बत्रा ने बताया कि पिछले कई दशकों में पर्यावरण के प्रत्येक घटक में असंतुलन उत्पन्न हुआ है। और ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, समुद्र के स्तर का बढ़ना,बादल फटने जैसी घटनाएं, चक्रवात तूफ़ानों का बहुतायत में आना यह सभी वैश्विक मुद्दे हैं इसके साथ-साथ पर्यावरण की असंतुलन से मानव जीवन का अस्तित्व भी संकट में पड़ गया है। पारिस्थिकीय तन्त्र की स्थापना हेतु वृहद स्तर पर वृक्षारोपण ,जैव विविधता का संरक्षण ,प्रदूषण नियंत्रण , जनसंख्या नियंत्रण आदि उपायों पर विशेष ध्यान देना होगा। प्लास्टिक जनित वस्तुओं का अधिक मात्रा में प्रयोग के कारण तथा इनके निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था ना होने के कारण भविष्य में इस से भी पारिस्थिकीय तंत्र में इसके दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे। वेबिनार में पर्यावरण विद डॉक्टर विजय शर्मा ने प्राकृतिक असंतुलन के कारण हो रही समस्याओं पर विशद प्रकाश डाला ।उन्होंने परिस्थितिक तन्त्र की स्थापना के लिए आवश्यक छोटे से छोटे जीव के महत्व को समझाया उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पूर्व भी जब विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत हुई तब और आज इस पर्यावरण दिवस का मुख्य थीम हमारे पास केवल एक ही पृथ्वी है अतः हम फिर पचास वर्ष बाद भी उसी दौराहे पर आकर खड़े हो गयें है. हमें अब इस पृथ्वी को संजोने की आवश्यकता है. वैबिनार में अग्रिमा रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि किसी भी प्रकार की पर्यावरण समस्या के लिए और उसके समाधान के लिए भी केवल मानव व्यवहार, एवं मानव चेतना ही जिम्मेदार हैं, यदि हम अपनी मन: स्थिति को पर्यावरण के लिए अनुकूल बना ले और अपनी दैनिक जीवन से उन गतिविधियों को हटा दें जो पर्यावरण के लिए संकट उत्पन्न करते हैं तब हम निश्चित रूप से पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। उन्होंने वृक्षारोपण के साथ साथ स्थानीय जल स्रोतों को बचाने की भी अपील की । कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि कॉलेज के बीकॉम प्रथम सैमेस्टर के छात्र अक्षत त्रिवेदी को गौरिया संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण कार्य करने के लिए पर्यावरण मित्र का सम्मान पुरुस्कार दिया जायेगा एस एम जे एन पी जी कालेज पर्यावरण प्रकोष्ठ के सदस्यों वर्तमान में प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है । अंजलि शुक्ला ने इस अवसर पर कि पर्यावरण को बचाने के लिए प्रकृति से दूर नहीं बल्कि प्रकृति के समीप जाकर ही समाधान मिलेगा । शाकाहार को अपना कर भी हम पर्यावरण को बचाने की मुहिम में अपना योगदान दे सकते हैं|

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