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सेवा महोत्सव का छटवा दिन गांधी जी के सिद्धांतों को समर्पित


आजाद़ी के 75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेेतन गंगा तट पर पर्यावरण और नदियों को समर्पित मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , साध्वी भगवती सरस्वती , विख्यात ड्रम वादक शिवमणि, सूफी गायिका रूणा रिजविक, साध्वी आत्मप्रीत , सिस्टर बिन्नी सरीन , अध्यक्ष, अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ शंकर कुमार सान्याल , उपाध्यक्ष नरेश यादव जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 8 जून। आजाद़ी के 75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेेतन गंगा तट पर पर्यावरण और नदियों को समर्पित मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , साध्वी भगवती सरस्वती , विख्यात ड्रम वादक शिवमणि, सूफी गायिका रूणा रिजविक, साध्वी आत्मप्रीत , सिस्टर बिन्नी सरीन , अध्यक्ष, अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ शंकर कुमार सान्याल , उपाध्यक्ष नरेश यादव जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत देश में कथा कल्चर हमेशा जिंदा होना चाहिये इसलिये अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें। हमारे मन्दिर म्यूजियम न बनें बल्कि वे जाग्रत ऊर्जा और संस्कृति के जीवंत केन्द्र बने रहें। हमें अपने धर्म, संस्कृति, मूल्यों और जड़ों को सुदृढ़ बनाये रखना होगा ताकि भावी पीढ़ियों का भी संस्कारों की छांव में पोषण हो सके। स्वामी जी ने कहा कि महात्मा गांधीजी ने ऐसे रामराज्य का स्वप्न देखा था, जहाँ पूर्ण सुशासन और पारदर्शिता हो। वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के शासनकाल में हम सभी गांधीजी के विचारों को चरितार्थ होते देख रहे हंै। अब समय आ गया है कि हम सद्भाव और करुणा का वातावरण बनाए रखने और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (विश्व एक परिवार है) के विचार को साकार करने के लिये योगदान प्रदान करें। गांधीजी ने हमारे पारिस्थितिकीय तंत्रों को संरक्षित करने, जैविक और पर्यावरण हितैषी वस्तुओं का उपयोग करने तथा पर्यावरण पर किसी भी तरह का दबाव न पैदा करने के लिये संतुलित उपभोग पर बहुत जोर दिया परन्तु आज हम एक ऐसे चरण में पहुँच गए हैं जहाँ हम प्रकृति पर ही बोझ बनते जा रहे हैं इसलिये हमें ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर बढ़ना होगा।

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