परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवि संगम नवम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधिवेशन के उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ सतà¥à¤° में सहà¤à¤¾à¤— कर कवियों से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ मंच को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवि संगम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ कवियों का à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मंच है।
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
ऋषिकेश, 11 जून। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवि संगम नवम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अधिवेशन के उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ सतà¥à¤° में सहà¤à¤¾à¤— कर कवियों से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ मंच को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ किया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवि संगम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ कवियों का à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मंच है। कवियों ने आदि काल से à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤® का अलख जगाने में अदà¥à¤à¥à¤¤ योगदान दिया। à¤à¤¾à¤°à¤¤ को सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° करने में कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियांे के साथ कवियों की ओजसà¥à¤µà¥€ कविताओं ने à¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥€ थी जो अब à¤à¥€ हमारे दिल में है’। कवियों की रचनाओं ने आजादी का शंखनाद कर लोगों को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी थी और आज à¤à¥€ यह कवितायें यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर रही है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि कविता दिल से निकलती है और दिलों को छू लेती है। उसमें वह पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¤à¤¤à¥à¤µ होता है जो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से परिवरà¥à¤¤à¤¨ लाता है। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आजादी दिलाने के लिये देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ कविताओं की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ थी उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° आज à¤à¥€ सिंगल यूज पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤•, पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित होती नदियों और जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ जैसेे जà¥à¤µà¤²à¤‚त मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ है जिन से आजादी पाने के लिये कवियों की कलम को पà¥à¤°à¤–र होने की नितांत आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने देश के कवियों का आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ हितैषी हरित कावà¥à¤¯ पाठमिशन की शà¥à¤°à¥‚आत करने की जरूरत है। यह सारी बात हमारी सोच की है और सोच à¤à¤• बीज है, सोच बदलती है तो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बदलती है; सोच बदली है तो दिल बदलते हैं और दिल बदलते हैं तो हमारे à¤à¥€à¤¤à¤° की नहीं बलà¥à¤•à¤¿ बाहर की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ बदलती है, हमारे करà¥à¤® बदलते है और इससे किसी का दिल बदलता है तो किसी का दिन बदलता है और किसी का पूरा जीवन ही बदल जाता है। हमारी सोच ही करà¥à¤®à¥‹ में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होती है और वैसी ही हमारी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करती है। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवि संगम मंच से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने सà¤à¥€ को सिंगल यूज पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤¿à¤• का उपयोग न करने का संकलà¥à¤ª कराया।