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पद्म श्री कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन से विदा लेते हुये स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त राष्ट्र का दिया संदेश


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पद्म कैलाश खेर के मार्गदर्शन और संरक्षण में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों, आचार्यों और वैश्विक परमार्थ परिवार के सदस्यों ने पूरे स्वर्गाश्रम क्षेत्र और उसी क्षेत्र के गंगा के तटों को स्वच्छ कर स्वच्छता का संदेश दिया। इस अवसर पर कैलाश खेर ने सभी को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त राष्ट्र का संकल्प कराया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 20 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पद्म कैलाश खेर के मार्गदर्शन और संरक्षण में परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों, आचार्यों और वैश्विक परमार्थ परिवार के सदस्यों ने पूरे स्वर्गाश्रम क्षेत्र और उसी क्षेत्र के गंगा के तटों को स्वच्छ कर स्वच्छता का संदेश दिया। इस अवसर पर कैलाश खेर ने सभी को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त राष्ट्र का संकल्प कराया। परमार्थ निकेतन में योग दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म श्री कैलाश खेर का योग को समर्पित गीत गाया जिसे सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो उठे। यह गीत देशवासियों को योग के प्रति जागरूक करता है। पद्म श्री कैलाश खेर ने परमार्थ निकेतन से विदा लेते हुये कहा कि योग दिवस स्वामी जी के सन्निध्य में ही मनाना चाहते थे परन्तु कुछ व्यस्तता के कारण आज जाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि माँ गंगा और योग की वैश्विक राजधानी ऋषिकेश एवं स्वर्गाश्रम में योग के लिये पूरे विश्व से योग जिज्ञासु आते हैं, इसलिये इस नगर की स्वच्छता और पवित्रता पर विशेष ध्यान देना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि स्वच्छता को जीवन शैली का अंग बनाना अत्यंत आवश्यक है। उसी से घर, समाज और देश को स्वच्छ रखा जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि अब व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ सार्वभौमिक स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान देना होगा। स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की स्वच्छता के प्रति जागरूकता ही स्वच्छ भारत मिशन को श्रेष्ठ आकार प्रदान कर सकती है इसलिये सभी को स्वच्छता की संस्कृति को अंगीकार करना होगा। योग दिवस से पूर्व स्वामी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि तन, मन और जीवन को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने के लिये योग करें और प्रकृति और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिये अधिक से अधिक पौधा रोपण करना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पद्म कैलाश खेर को रूद्राक्ष का पौधा और रूद्राक्ष की माला देकर विदा किया।

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