पतंजलि वि.वि. सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨ के सà¤à¤¾à¤—ार में पà¥à¤¨à¤¶à¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾ पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के चौथे दिन की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कई नामचीन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥‹. विजयपाल शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों को पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व संसà¥à¤•à¤¾à¤° का परिचय कराते हà¥à¤ कहा कि सनातन धरà¥à¤® सदैव रहने वाला यानि तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤¾à¤¬à¤¾à¤§à¤¿à¤¤ सतà¥à¤¯ है।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°à¥¤ 22 जून। पतंजलि वि.वि. सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨ के सà¤à¤¾à¤—ार में पà¥à¤¨à¤¶à¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾ पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के चौथे दिन की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कई नामचीन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥‹. विजयपाल शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ने पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों को पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व संसà¥à¤•à¤¾à¤° का परिचय कराते हà¥à¤ कहा कि सनातन धरà¥à¤® सदैव रहने वाला यानि तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤¾à¤¬à¤¾à¤§à¤¿à¤¤ सतà¥à¤¯ है। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के बिना संसà¥à¤•à¤¾à¤° का समावेश नहीं हो सकता। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हो, इस पर à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सामूहिक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ की। कà¥à¤°à¥‚कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° वि.वि. के पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° डॉ. à¤à¥€à¤® सिंह जी ने उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ विषय पर उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ दिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को इस देश की आतà¥à¤®à¤¾ बताते हà¥à¤ कहा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ इसके बिना संà¤à¤µ नहीं। आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रामायण व महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ को पà¥à¤¨à¥‡ à¤à¤µà¤‚ उसके पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को अपने विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ करने हेतॠपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। तृतीय सतà¥à¤° को संबोधित करते हà¥à¤ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वि.वि., नई दिलà¥à¤²à¥€ के माननीय कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¸ वरखेड़ी जी ने अपने वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ उसके लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ की चरà¥à¤šà¤¾ की। आचारà¥à¤¯ को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि जो अपने अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को मिटाने हेतॠहमेशा ततà¥à¤ªà¤° रहते हैं वो ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ आचारà¥à¤¯ हो सकते हैं। इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पतंजलि वि.वि. के सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव का à¤à¥€ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ व आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¤à¥€ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव ने समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ कहा कि à¤à¤• आचारà¥à¤¯ को अपने विषय के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ विषयों का à¤à¥€ बोध होना चाहिà¤à¥¤ हमें गà¥à¤°à¥ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤£ कृतजà¥à¤ž होना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इससे हमें दृषà¥à¤Ÿà¤¿ मिलती है। योग को परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के दिवà¥à¤¯ ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ का जिसमें संयोग है, वही योग है। उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤—ियों को शासà¥à¤¤à¥à¤° सà¥à¤®à¤°à¤£ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसे शासà¥à¤¤à¥à¤° रकà¥à¤·à¤¾ के साथ-साथ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के परिषà¥à¤•à¤¾à¤° के लिठà¤à¥€ उपयोगी बताया। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के संयोजक पà¥à¤°à¤¤à¤¿-कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹. महावीर अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² , सह-संयोजक कà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¿à¤•à¤¾ पà¥à¤°à¥‹. साधà¥à¤µà¥€ (डॉ.) देवपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ , कà¥à¤²à¤¸à¤šà¤¿à¤µ डॉ. पà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾, सहकà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥à¤·à¤¾à¤¸à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ परमारà¥à¤¥à¤¦à¥‡à¤µ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ राकेष मितà¥à¤¤à¤² ने सà¤à¥€ अतिथि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त व अà¤à¤¿à¤¨à¤‚दन किया।