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आचार्य अनवरत अपनी प्रतिभा का अभिवर्द्धन करते रहेंः स्वामी रामदेव


पतंजलि वि.वि. स्थित प्रशासनिक भवन के सभागार में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के चौथे दिन की व्याख्यानमाला में भारत के कई नामचीन विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संस्कृत साहित्य के विद्वान् प्रो. विजयपाल शास्त्री ने प्रतिभागियों को प्राचीन संस्कृति व संस्कार का परिचय कराते हुए कहा कि सनातन धर्म सदैव रहने वाला यानि त्रिकालाबाधित सत्य है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। 22 जून। पतंजलि वि.वि. स्थित प्रशासनिक भवन के सभागार में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के चौथे दिन की व्याख्यानमाला में भारत के कई नामचीन विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संस्कृत साहित्य के विद्वान् प्रो. विजयपाल शास्त्री ने प्रतिभागियों को प्राचीन संस्कृति व संस्कार का परिचय कराते हुए कहा कि सनातन धर्म सदैव रहने वाला यानि त्रिकालाबाधित सत्य है। संस्कृत के बिना संस्कार का समावेश नहीं हो सकता। संस्कृत राष्ट्रभाष्य के रूप में प्रतिष्ठित हो, इस पर भी उन्होंने सामूहिक प्रयास की प्रतिबद्धता प्रकट की। कुरूक्षेत्र वि.वि. के पूर्व प्रोफेसर डॉ. भीम सिंह जी ने उपस्थित प्रतिभागियों को संस्कृत व्याकरण विषय पर उद्बोधन दिया। उन्होंने संस्कृत को इस देश की आत्मा बताते हुए कहा कि भारत की परिकल्पना इसके बिना संभव नहीं। आचार्यों से उन्होंने रामायण व महाभारत को पढ़ने एवं उसके प्रसंगों को अपने विद्यार्थियों से भी चर्चा करने हेतु प्रेरित किया। तृतीय सत्र को संबोधित करते हुए केन्द्रीय संस्कृत वि.वि., नई दिल्ली के माननीय कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी जी ने अपने व्याख्यान में शास्त्र एवं उसके लक्षणों की चर्चा की। आचार्य को परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि जो अपने अज्ञान को मिटाने हेतु हमेशा तत्पर रहते हैं वो ही श्रेष्ठ आचार्य हो सकते हैं। इस कार्यक्रम में पतंजलि वि.वि. के स्वामी रामदेव का भी मार्गदर्शन व आशीर्वाद सभी को प्राप्त हुआ। स्वामी रामदेव ने सम्बोधित करते हुए कहा कि एक आचार्य को अपने विषय के अतिरिक्त अन्य विषयों का भी बोध होना चाहिए। हमें गुरु के प्रति पूर्ण कृतज्ञ होना चाहिए क्योंकि इससे हमें दृष्टि मिलती है। योग को परिभाषित करते हुए उन्होंने बताया कि सृष्टि के दिव्य तत्वों का जिसमें संयोग है, वही योग है। उपस्थित प्रतिभागियों को शास्त्र स्मरण की प्रेरणा देते हुए उन्होंने इसे शास्त्र रक्षा के साथ-साथ बुद्धि के परिष्कार के लिए भी उपयोगी बताया। कार्यक्रम के संयोजक प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल , सह-संयोजक कुलानुशासिका प्रो. साध्वी (डॉ.) देवप्रिया , कुलसचिव डॉ. पुनिया, सहकुलानुषासक स्वामी परमार्थदेव एवं भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेष मित्तल ने सभी अतिथि विद्वानों का स्वागत व अभिनंदन किया।

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