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वेदों में सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान हैं समाहित- डॉ. एन. पी. सिंह


पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के छठे दिन भारत के मूर्धन्य विद्वानों का उद्बोधन संपन्न हुआ। वि.वि. के यशस्वी प्रति-कुलपति एवं पुनश्चर्या कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महावीर अग्रवाल , सह-संयोजक डॉ. साध्वी देवप्रिया एवं सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव ने सभी अतिथि विद्वानों का स्वागत व अभिनंदन किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। 24 जून। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के छठे दिन भारत के मूर्धन्य विद्वानों का उद्बोधन संपन्न हुआ। वि.वि. के यशस्वी प्रति-कुलपति एवं पुनश्चर्या कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महावीर अग्रवाल , सह-संयोजक डॉ. साध्वी देवप्रिया एवं सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव ने सभी अतिथि विद्वानों का स्वागत व अभिनंदन किया। प्रथम सत्र को सम्बोधित करते हुए आई.आई.टी. रूड़की के प्रो. आलोक मिश्रा ने नाभिकीय भौतिकी, ब्रह्मांडीय अन्तः क्रियाओं सहित ब्रह्मांड की विभिन्न अवधारणाओं से अवगत कराते हुए विज्ञान को विकास करने वाला एक विशेष ज्ञान बताया। द्वितीय सत्र में अनुसंधान लेखन एवं प्रकाशन की विस्तृत जानकारी साझा करते हुए आई.आई.टी. रूड़की के पूर्व प्रोफेसर एवं पतंजलि वि.वि. के संकायाध्यक्ष प्रो. वी. के. कटियार ने अपने विषिष्ट शैक्षणिक अनुभवों को बताया। पुनश्चर्या कार्यक्रम के तृतीय सत्र में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे डॉ. एन. पी. सिंह जी का उद्बोधन उपस्थित प्रतिभागियों को प्राप्त हुआ। उन्होंने वेद एवं विभिन्न दर्शनों के सन्दर्भ में ज्ञान-विज्ञान की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए आधुनिक भौतिकी की अवधारणा से परिचय कराया। उन्होंने वेद एवं विभिन्न भारतीय दर्शनों में वर्णित प्रकाश गति, विद्युत तंरगें, आकर्षण शक्ति, गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त, शिल्प विज्ञान आदि की सन्दर्भ सहित व्याख्या प्रस्तुत की। सत्र का सफल संचालन जैविक विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ. निवेदिता शर्मा एवं योग विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. निधीष यादव ने किया।

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