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समस्त सत्यों का संयोग है योग - स्वामी रामदेव


पतंजलि वि.वि. में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के सातवंे दिन वि.वि. के कुलगुरू योगऋषि स्वामी रामदेव एवं प्रति-कुलपति वैदिक विद्वान प्रो. महावीर अग्रवाल का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संगीत विभाग के आचार्यों द्वारा ‘शुचिता से भर दो - हमें शुद्ध कर दो’ स्वागत गीत की प्रस्तुति के उपरान्त परामर्शदात्री समिति के सचिव प्रो. के.एन.एस. यादव एवं कुलानुशासिका साध्वी (डॉ.) देवप्रिया द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। 25 जून। पतंजलि वि.वि. में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के सातवंे दिन वि.वि. के कुलगुरू योगऋषि स्वामी रामदेव एवं प्रति-कुलपति वैदिक विद्वान प्रो. महावीर अग्रवाल का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संगीत विभाग के आचार्यों द्वारा ‘शुचिता से भर दो - हमें शुद्ध कर दो’ स्वागत गीत की प्रस्तुति के उपरान्त परामर्शदात्री समिति के सचिव प्रो. के.एन.एस. यादव एवं कुलानुशासिका साध्वी (डॉ.) देवप्रिया द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया। आचार्यों को सम्बोधित करते हुए मा. कुलाधिपति जी ने कहा कि आचार्यों को ऋषि परम्परा का सच्चा प्रतिनिधि होना चाहिए। अपने उत्तरदायित्त्व का श्रेष्ठतम् निष्पादन करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को गुरू-शिष्य परम्परा में प्रतिष्ठित होकर अपने कार्यों को करने का मार्गदर्शन दिया। उन्होंने सभी को विवेकपूर्वक, भक्तिपूर्वक एवं पूर्ण पुरूषार्थ के साथ अपनी-अपनी जिम्मेदारी निर्भर रहकर करने का पावन आर्शीवचन भी दिया। स्वामी रामदेव ने सभी अध्यापको से आग्रह किया कि जब भी आप अपना विषय पढाये तो उसे पूरी लगन के साथ उस विषय मे खूद को डूबा कर उसे बच्चो के सामने रखना चाहियें। यहि गुरू धर्म भी है। पंतजलि विश्वविधालय गुरू शिष्य परम्परा पर आधारित विश्वविघालय ह। द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवं पतंजलि वि.वि. के प्रति-कुलपति वैदिक विद्वान प्रो. अग्रवाल ने ‘वेदोऽखिलो धर्ममूलम्’ की विशिष्ट व्याख्या करते हुए वेदों में वर्णित विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला। स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का संदर्भ देते हुए उन्होंने धर्म के रहस्य को जानने-समझने के लिए वेदों की राह पर चलने हेतु प्रेरित किया। संसार रूपी पुस्तकालय के प्रथम ग्रन्थ वेद पढ़ने एवं उसकी घर-घर में प्रतिष्ठापना हेतु प्रतिभागियों को संकल्पित कराते हुए उन्होंने वेदों के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने हेतु समर्थ प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में कुलानुशासिका प्रो. साध्वी (डॉ.) देवप्रिया , कुलसचिव डॉ. पुनिया जी, संकायाध्यक्ष प्रो. कटियार जी, सह-कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव जी, उप-कुलसचिव डॉ. निर्विकार जी सहित वि.वि. के विभिन्न संकायों के आचार्य एवं शोध छात्र उपस्थित रहे। सत्र का सफल संचालन डॉ. आरती पाल ने किया।

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