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एम्स में 100 से अधिक रक्तदान शिविर आयोजित करने हेतु समर्पित युवा फांउडेशन के युवाओं को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर किया अभिनन्दन


युवा फांउडेशन, मुजफ्फरनगर के युवाओं द्वारा राष्ट्र भक्ति, भारतीय संस्कृति की रक्षा, देशभक्ति के प्रति युवाओं को प्रेरित करने हेतु स्टील से बने राष्ट्रीय ध्वज से सम्मानित किया गया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 25 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती को समर्पित युवा फांउडेशन, मुजफ्फरनगर के युवाओं द्वारा राष्ट्र भक्ति, भारतीय संस्कृति की रक्षा, देशभक्ति के प्रति युवाओं को प्रेरित करने हेतु स्टील से बने राष्ट्रीय ध्वज से सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भारत की आत्मा है। इसके शीर्ष पर स्थित केसरी रंग ‘ताकत और साहस’ का प्रतीक है, मध्य में सफेद रंग ‘शांति और सच्चाई’ का प्रतिनिधित्व करता है एवं ध्वज के नीचे स्थित हरा रंग ‘भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभ्रता’ का प्रतीक है। ध्वज में विद्यमान चरखे की 24 तीलियों से युक्त अशोक चक्र का उद्देश्य यह है कि ’गति में जीवन है और स्थायित्व में मृत्यु है’, इस संदेश को हमें सदैव याद रखना होगा और जीवन को श्रेष्ठत्तम गति प्रदान करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास शहीदों, देशभक्तों और मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान करने वालों का इतिहास है। भारतीयों के लिये तिरंगे की शान और मातृभूमि की स्वतंत्रता कितना महत्त्व रखती है यह इतिहास के पन्ने बखूबी बयाँ करते हंै। अपनी मातृभूमि को आज़ाद कराने के लिये भारत को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। भारत की स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास बहुत लंबा रहा है, जिसमें देश के अनेक देशभक्तों को जिसमें भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे अनेकों युवा एवं महापुरूष शामिल थे, उन्होंने अपने प्राणों की आहूति दी। वर्तमान भारत को भी प्रतिभावान युवाओं की जरूरत है जो अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति की मौलिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करें। आज जरूरत है अपने पर्यावरण, प्रकृति और जलस्रोतों की रक्षा की, जिसके लिये हम सभी को आगे आना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने एम्स में 100 से अधिक रक्तदान शिविर आयोजित करने हेतु समर्पित युवा फांउडेशन के युवाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि रक्तदान महादान है और समर्पित युवा फांउडेशन द्वारा रक्त दान का महा अभियान चलाया जाना है वास्तव में अत्यंत श्रेष्ठ कार्य है। स्वामी जी ने कहा कि दान वही है जो मानवीय सहायता हेतु बिना किसी लाभ के, उपहार के रूप में दिया जाता है। अक्सर देखा गया है कि गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को रक्त की कमी का सामना करना पड़ता है। ‘थैलेसीमिया’ के रोगियों को बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ताा है क्योंकि ऐसे रोगियों को जीवित रहने के लिये बार-बार रक्त बदलने की आवश्यकता होती है ऐसे में किसी को जीवन प्रदान करने के लिये निस्वार्थ भावना से दिया गया रक्त किसी की जिन्दगी बचा सकता है। जीवन रक्षक के रूप में रक्तदान बहुत ही अनिवार्य है।

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