Latest News

40 वां अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (आपी) का वार्षिक सम्मेलन


परमार्थ निकेतन ऋषिकेश, भारत से डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती ने अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (आपी) के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में सहभाग कर उद्बोधन दिया। इस सम्मेलन में प्रथम बार आयोजित वेलनेस ट्रैक में साध्वी ने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के संबंध और उनकी भूमिका के विषय में अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी जी ने कहा कि हमारे विचारों का हमारी फिजिकल इम्यूनिटी पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी उद्बोधन दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन ऋषिकेश, भारत से डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती ने अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (आपी) के वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में सहभाग कर उद्बोधन दिया। इस सम्मेलन में प्रथम बार आयोजित वेलनेस ट्रैक में साध्वी जी ने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के संबंध और उनकी भूमिका के विषय में अपने विचार व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि हमारे विचारों का हमारी फिजिकल इम्यूनिटी पर बहुत गहरा असर पड़ता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी उद्बोधन दिया। आपी के 40 वें वार्षिक सम्मेलन में पहली बार वेलनेस ट्रैक रखा गया था, जिसमें योग, स्पिरिचुअल वैलनेस (शरीर, मस्तिष्क और आत्मा) के विषयों पर चर्चा हुई। डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सभी डाक्टर वास्तव में हीरो हैं। कोरोना के समय में डाक्टर्स ने देश और देशवासियों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उस समय उन्होंने अपनी और अपने परिवार की परवाह किये बिना सभी की मदद की। भारत में तो डाक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि खास कर पश्चिमी देशों में मलेरिया, स्माल पाक्स, गंदे पानी के कारण उत्पन्न हुयी बीमारियां आदि से मौतें नहीं होती है बल्कि शारीरिक सिस्टम के बेलेंस न होने के कारण लोगों की मौतें अधिक होती है परन्तु भारत और भारतीय संस्कृति में शारीरिक सिस्टम को बैलेंस करने की शक्ति है। भारतीय संस्कृति में बताया गया है कि शरीर, हृदय और विचारों को बैलेंस करते हुए कैसे हम स्वस्थ रह सकते हैं। उन्होंने भारतीय प्राचीन चिकित्सा पद्धति यथा आयुर्वेद, नैचरोपैथी, योग, ध्यान, शाकाहार युक्त जीवन पद्धति, परिवार और समाज के साथ एक सुदृढ़ रिश्ता बनाये रखना आदि के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। भारतीय संस्कृति में सभी लोग समाज का एक प्रमुख अंग है, सभी एक विशिष्ट साामजिक व्यवस्था में रहते हैं। उन्होंने कहा कि जितनी बड़ा हमारा समुदाय होगा उतना ही उत्तम हमारा स्वास्थ्य होगा। जो लोग न्यूक्लियर (एकल) परिवार के रूप में रहते है वे अकेलेपन और तनाव के शिकार अधिक होते है इसलिये बैलेंस जीवन के लिये भारतीय जीवन पद्धति अधिक उपयुक्त है। साध्वी जी ने कहा कि डॉक्टर्स को सम्बोधित करते हुये कहा कि आपके पास दो खूबसूरत और अमूल्य उपहार हैं, टीचिंग एंड टच (शिक्षाएं और स्पर्श) जिन्हें आप अपने मरीजों के साथ साझा कर सकते हैं। डाक्टर्स के पास मेडिकल की शिक्षाएं हैं, अनुभव और विशेषज्ञता है, लेकिन उसके साथ ही एक सुंदर उपहार और भी है देने के लिए वह है ‘टच’ स्पर्श। डाक्टर्स के पास प्रेम और करुणा युक्त हृदय होता है जिससे बहुत कारगर उपचार सम्भव है। भारतीय डॉक्टर्स के रूप में आप सभी के पास वास्तव में 3 बहुमूल्य उपहार हैं - (टीचिंग, टच एंड टंªासफाॅर्मेशन) शिक्षाएं, स्पर्श और परिवर्तन जो भारतीय संस्कृति हमें देती है, जिसे मैंने 25 वर्ष पहले बहुत गहराई से इसका अनुभव किया है। इन 3 उपहारों को अपने सभी रोगियों के साथ साझा करते रहें।

Related Post