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केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 47वीं जीएसटी कॉउंसिल की दो दिवसीय बैठक


केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी कॉउंसिल की दो दिवसीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल शामिल हुए। बैठक के बीच डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने जीएसटी परिषद को जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी और जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस सन्दर्भ में डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन भी दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

देहरादून 29 जून, 2022, केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में 47वीं जीएसटी कॉउंसिल की दो दिवसीय बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में उत्तराखंड के वित्त मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल शामिल हुए। बैठक के बीच डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की। उन्होंने जीएसटी परिषद को जीएसटी लागू होने के बाद उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति की जानकारी दी और जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। इस सन्दर्भ में डॉ अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन भी दिया। बुधवार को बैठक के दूसरे दिन केंद्रीय मंत्री से हुई मुलाकात में वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य के गठन के समय वर्ष 2000-2001 में प्राप्त संग्रह 233 करोड़ था, नया राज्य गठन होने के बावजूद उत्तराखंड लगातार इस ओर वृद्धि प्राप्त कर रहा था। वर्ष 2016-17 में प्राप्त संग्रह राज्य गठन के समय से लगभग 31 गुना बढ़कर रू0 7,143 करोड़ हो गया था। इस अवधि राजस्व प्राप्ति के दृष्टिगत राज्य लगभग 19 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा था और वृद्धि दर के आधार पर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल था। जबकि जीएसटी लागू होने के उपरान्त राज्य के राजस्व में अपेक्षित वृद्धि दर्ज नहीं की जा सकी है। वित्त मंत्री ने इसके प्रमुख कारण भी गिनाये। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक परिवर्तन, न्यून उपभोग आधार, एसजीएसटी के रूप में भुगतान किए गए करों का आईजीएसटी के माध्यम से बहिर्गमन, वस्तुओं पर वैट की तुलना में कर की प्रभावी दर कम होना, राज्य में सेवा का अपर्याप्त आधार तथा जीएसटी के अन्तर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर दर में निरन्तर कमी होना हैं। वित्त मंत्री डॉ. अग्रवाल ने कहा कि राज्य द्वारा प्राप्त वास्तविक राजस्व के कम रहने के कारण राज्य की जीएसटी प्रतिपूर्ति की आवश्यकता में निरंतर वृद्धि हुयी है। यह सम्भावित है कि क्षतिपूर्ति अवधि की समाप्ति के उपरान्त वर्ष 2022-23 में ही राज्य को लगभग सीधे तौर पर रू 5000 करोड़ की हानि होने की संभावना है। जो उत्तराखंड के भौगोलिक और आर्थिक दृष्टि से सही नही है।

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