परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने मानवतावादी चिंतक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद को आज उनकी पà¥à¤¨à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ के अवसर पर à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदांत और योग के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ का परिचय न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ को बलà¥à¤•à¤¿ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¥€ कराया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने मानवतावादी चिंतक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकानंद को आज उनकी पà¥à¤¨à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ के अवसर पर à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚लि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदांत और योग के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ का परिचय न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ को बलà¥à¤•à¤¿ पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¥€ कराया। उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन ही à¤à¤• धरà¥à¤® है। धरà¥à¤® न तो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में है, न सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों में, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने ईशà¥à¤µà¤° का अनà¥à¤à¤µ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ कर सकता है और “मेरा ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤–ी, पीड़ित हर जाति का निरà¥à¤§à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯ है। मानवता का उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ देने वाले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ जी को आज की परमारà¥à¤¥ गंगा आरती समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की गयी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ जी ने शिकागो धरà¥à¤® सà¤à¤¾ में वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤®à¥ और विशà¥à¤µ बंधà¥à¤¤à¥à¤¤à¥à¤µ का संदेश दिया जो आज à¤à¥€ याद किया जाता है। जैसे नदियां विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धाराओं और विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दिशाओं से बहते हà¥à¤ à¤à¤• ही समà¥à¤¦à¥à¤° में जाकर मिलती हैं, वैसे ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ जीवन में जो धारà¥à¤®à¤¿à¤• मारà¥à¤— चà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, जो à¤à¥€ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ अपनाता है और जो à¤à¥€ नाम सà¥à¤®à¤¿à¤°à¤¨ करता है परनà¥à¤¤à¥ वे सà¤à¥€ धारायें à¤à¤• ही सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° की ओर ले जाती हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विवेकाननà¥à¤¦ जी ने वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पहले अपने संदेश में कहा था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की समसà¥à¤¤ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का मूल कारण अशिकà¥à¤·à¤¾ है इसलिये समाज के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पहंà¥à¤š शिकà¥à¤·à¤¾ तक हो, जो आज की à¤à¥€ सबसे बड़ी जरूरत है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि हमारी शिकà¥à¤·à¤¾ केवल रोजगार और करियर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तक सीमित न रहे बलà¥à¤•à¤¿ शिकà¥à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में à¤à¥€ वृदà¥à¤§à¤¿ हो तथा हमारी शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ चरितà¥à¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने वाली हो। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नारी न केवल अपना बलà¥à¤•à¤¿ समाज का à¤à¥€ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कर सकती है इसलिये बेटा हो या बेटी शिकà¥à¤·à¤¾ सà¤à¥€ के लिये अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है।