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मान्यता प्रदत्त गो सदनों में शरणांगत अनुत्पादक अलाभकर गोवंश हेतु उत्तर प्रदेश की भांति


उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम, 2007 के प्राविधानों के अनुरुप पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा, प्रदेश में अलाभकर गोवंश (निराश्रित/ अनुत्पादक/ बृद्ध/ बीमार/ गोतस्करोें से जब्त किये गये केस प्राॅपर्टी गोवंश) को शरण दिये जाने हेतु गैरसरकारी पशुकल्याण संस्थाओं के माध्यम से कार्ययोजना संचालित की जा रही है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

मा॰ उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा निर्गत मार्गदर्शी आदेशों के क्रम में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन द्वारा दिनांक 11 नवम्बर, 2016 को निर्गत शासनादेश संख्या गृह अनुभाग-03 1930/XX(3)/2016-11(129)2016 के अनुरुप शहरी क्षेत्रों में नगर निकायों द्वारा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायतों द्वारा भी निराश्रित गोवंश को शरण दिये जाने हेतु गोशाला शरणालयों/कांजी हाउसों का संचालन किया जाना अपेक्षित है। मा० उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा इस कार्य हेतु गैरसरकारी संस्थाओं (मन्दिरों/मठों) से भी सहयोग लिये जाने की अपेक्षा की गयी है। पशुपालन विभाग द्वारा, उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम, 2007 के प्राविधानों के अनुरुप पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा, प्रदेश में अलाभकर गोवंश (निराश्रित/ अनुत्पादक/ बृद्ध/ बीमार/ गोतस्करोें से जब्त किये गये केस प्राॅपर्टी गोवंश) को शरण दिये जाने हेतु गैरसरकारी पशुकल्याण संस्थाओं के माध्यम से कार्ययोजना संचालित की जा रही है। गतवित्तीय वर्ष में राज्यान्तर्गत 38 मान्यता प्रदत्त गोसदनों में कुल 9,482 अलाभकर गोवंशीय पशु शरणागत थे। राज्य के मान्यता प्रदत्त एवं अर्ह गोसदनों को राजकीय अनुदान स्वीकृत किये जाने हेतु दिनांक 10 जून, 2022 को पशुपालन मंत्री की अध्यक्षता में राजकीय अनुदान चयन समिति की प्रथम बैठक आहूत की गई थी। बैठक में निर्णय लिया गया था कि, कुल उपलब्ध बजट प्राविधान रु० 83.33 लाख (रु० 02.44 प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से राजकीय अनुदान) को गोवंश भरण-पोषण मद में सदुपयोग किये जाने हेतु सभी मान्यता प्रदत्त एवं अर्ह गोसदनों में गत वित्तीय वर्ष में शरणागत गोवंश की औसत संख्या के सापेक्ष समानुपातिक आधार पर आबंटित कर दिया जाय। इस क्रम में उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड द्वारा प्रेषित प्रकरण शासन स्तर पर प्रक्रियाधीन है।

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