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शिष्य को सही दिशा देता है सद्गुरु : डॉ. चिन्मय पंड्या


देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु अपने शिष्य को सकारात्मक दिशा देने का कार्य करता है। जब भटका हुआ व्यक्ति समर्पण भाव से गुरु के शरण में पहुंचता है, तब शिष्य का कायाकल्प करने से लेकर, आत्मिक उन्नति के विविध उपाय सद्गुरु ही सुझाते हैं। सद्गुरु शिष्य के आध्यात्मिक, भावनात्मक विकास को भी बढ़ाने के लिए तत्पर रहती है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार १२ जुलाई। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि सद्गुरु अपने शिष्य को सकारात्मक दिशा देने का कार्य करता है। जब भटका हुआ व्यक्ति समर्पण भाव से गुरु के शरण में पहुंचता है, तब शिष्य का कायाकल्प करने से लेकर, आत्मिक उन्नति के विविध उपाय सद्गुरु ही सुझाते हैं। सद्गुरु शिष्य के आध्यात्मिक, भावनात्मक विकास को भी बढ़ाने के लिए तत्पर रहती है। डॉ. चिन्मय पण्ड्या शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित गुरु पूर्णिमा पर्व के अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर देश-विदेश से आये हजारों पीतवस्त्रधारी साधक गण उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य का जीवन दो ध्रुवों के बीच फंसा हुआ दिखाई देता है। एक भूतकाल की सोच में और दूसरा भविष्य की चिंता में। इस बीच इंसान वर्तमान को जीवन सही तरीके जी नहीं पा रहा है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में जब सद्गुुरु का आता है तब उन्हें घर्षण, तापन, ताड़न और छेदन की प्रक्रिया से ऊंचा उठाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में योग विशेषज्ञ डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि वर्ष २०२२ को शांतिकुंज नारी शक्तिकरण वर्ष घोषित किया है, इस वर्ष नारियों के उत्थान के लिए देश भर में विभिन्न अभियान चलाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में जिस तरह नारियाँ तप, साधना, ऊर्जा से ओतप्रोत हुआ करती थी, उसी तरह आज की नारियों के विकास के लिये अखिल विश्व गायत्री परिवार योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रहा है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद एवं आयुष सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि नारी जागरण हेतु विविध रचनात्मक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए दिये जाने वाले प्रियदर्शिनी पुरस्कार इस वर्ष शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी को १९ सितम्बर का दिया जायेगा। सायंकालीन सभा में वरिष्ठ कार्यकर्ता पं० शिवप्रसाद मिश्र ने कहा कि शिष्य श्रद्धा, समर्पण के साथ जब अपने सद्गुरु से मिलता है, तब सद्गुरु शिष्य के चहुुंमुखी विकास हेतु विविध साधना के माध्यम से उसे आगे बढ़ाता है। श्री मिश्र ने अपने आराध्य सद्गुरु पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी के कर्तृत्व को याद करते हुए गुुरुपूर्णिमा के अवसर पर उनके बताये मार्गों पर चलने के लिए आवाहन किया।

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