गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ उन सà¤à¥€ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और अकादमिक गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करà¥à¤® योग आधारित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ विकास और पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ करने, बहà¥à¤¤ कम अथवा बिना किसी मौदà¥à¤°à¤¿à¤• खरà¥à¤šà¥‡ के अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¤¾ को साà¤à¤¾ करने के लिठतैयार हों। इसको à¤à¤¾à¤°à¤¤, नेपाल और à¤à¥‚टान में हिनà¥à¤¦à¥‚, जैन और बोदà¥à¤§ धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ उतà¥à¤¸à¤µ के रूप में मनाते हैं। यह परà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚, बौदà¥à¤§ और जैन अपने आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚/अधिनायकों के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ दिखाने के रूप में मनाया जाता है। यह परà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚ पंचांग के हिनà¥à¤¦à¥‚ माह आषाॠकी पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ (जून-जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ) मनाया जाता है। इस उतà¥à¤¸à¤µ को महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने अपने आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦ राजचनà¥à¤¦à¥à¤° समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने के लिठपà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया। à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ माना जाता है कि वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ के रूप में मनाया जाता है।
रिपोर्ट - डा0 मà¥à¤°à¤²à¥€ धर सिंह (राघव à¤à¤¾à¤ˆ)
हमारे देश में गà¥à¤°à¥‚ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¥‚ का अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ महतà¥à¤µ है। गà¥à¤°à¥‚ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ à¤à¥€ कहते है, वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी का जनà¥à¤® और उनकी गà¥à¤°à¥‚ शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ 18 पà¥à¤°à¤¾à¤£ की रचना इसी वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन पूरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ थी तथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤¹à¤°à¤¿ के अवतार है और यह सदैव अमर है। वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤¤à¤‚ देवं कंस चाणूरमरà¥à¤¦à¤¨à¤‚। देवकी परमानंदं कृषà¥à¤£à¤‚ वंदे जगदà¥à¤—à¥à¤°à¥à¤‚ ।। अशà¥à¤µà¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤®à¤¾ बलिरà¥à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹ हनà¥à¤®à¤¾à¤‚शà¥à¤š विà¤à¥€à¤·à¤£à¤ƒà¥¤ कृपः परशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¶à¥à¤š सपà¥à¤¤à¥ˆà¤¤à¥‡ चिरंजीविनः ।। गà¥à¤°à¥‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ गà¥à¤°à¥‚ विषà¥à¤£à¥, गà¥à¤°à¥ देवो महेशà¥à¤µà¤°à¤¾ गà¥à¤°à¥ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ परबà¥à¤°à¤¹à¥à¤®, तसà¥à¤®à¥ˆ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥à¤µà¥‡ नमः।। नासà¥à¤¤à¤¿ मातृ समो गà¥à¤°à¥à¤ƒà¥¤ नासà¥à¤¤à¤¿ पितृ समो देवः। नासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿ पतà¥à¤¨à¥€ समो मितà¥à¤°à¤ƒà¥¤ नासà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤¤à¥à¤° समो सखाः।। à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥- ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा गया है कि माता के सामान कोई गà¥à¤°à¥‚ नही होता, पिता के सामान कोई देवता नही होता, पतà¥à¤¨à¥€ के सामान कोई मितà¥à¤° नही होता तथा पà¥à¤¤à¥à¤° के सामान कोई सखा नही होता। इसलिठआज गà¥à¤°à¥‚ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के पावन अवसर पर विशेष रूप से नाथ सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¤—वान महादेव के अवतार गà¥à¤°à¥‚ गोरखनाथ जी को नमन करते हà¥à¤¯à¥‡ गोरखपीठके पीठाधीशà¥à¤µà¤° à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के यशसà¥à¤µà¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ योगी आदितà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जी- जो साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ गà¥à¤°à¥‚ है तथा à¤à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¹à¤°à¥€ के अवतार है इनको मैं नमन करते हà¥à¤¯à¥‡ गà¥à¤°à¥‚ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के अवसर पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ समसà¥à¤¤ गà¥à¤°à¥‚ओं को विशेष लेख अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ अपने दीकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¥‚ à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® जनà¥à¤®à¤à¥‚मि नà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के वरिषà¥à¤ सदसà¥à¤¯/यà¥à¤— पà¥à¤°à¥‚ष शà¥à¤°à¥€ परमाननà¥à¤¦ जी महराज को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता हूं। यह विशेष लेख राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सेवक संघ के चैथे सरसंघचालक पà¥à¤°à¥‹0 राजेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह उरà¥à¤« रजà¥à¤œà¥‚ à¤à¥ˆà¤¯à¥à¤¯à¤¾ जी को जो हमारे इलाहाबाद विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के अनेक छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• गà¥à¤°à¥‚ रहे है उनको à¤à¥€ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है। डा0 मà¥à¤°à¤²à¥€ धर सिंह (राघव à¤à¤¾à¤ˆ) उप निदेशक सूचना, अयोधà¥à¤¯à¤¾ धाम/पà¥à¤°à¤à¤¾à¤°à¥€ मा0 मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मीडिया सेनà¥à¤Ÿà¤° लोक à¤à¤µà¤¨ लखनऊ। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ उन सà¤à¥€ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• और अकादमिक गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने करà¥à¤® योग आधारित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ विकास और पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ करने, बहà¥à¤¤ कम अथवा बिना किसी मौदà¥à¤°à¤¿à¤• खरà¥à¤šà¥‡ के अपनी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¤¾ को साà¤à¤¾ करने के लिठतैयार हों। इसको à¤à¤¾à¤°à¤¤, नेपाल और à¤à¥‚टान में हिनà¥à¤¦à¥‚, जैन और बोदà¥à¤§ धरà¥à¤® के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ उतà¥à¤¸à¤µ के रूप में मनाते हैं। यह परà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚, बौदà¥à¤§ और जैन अपने आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚/अधिनायकों के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ दिखाने के रूप में मनाया जाता है। यह परà¥à¤µ हिनà¥à¤¦à¥‚ पंचांग के हिनà¥à¤¦à¥‚ माह आषाॠकी पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ (जून-जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ) मनाया जाता है। इस उतà¥à¤¸à¤µ को महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने अपने आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦ राजचनà¥à¤¦à¥à¤° समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने के लिठपà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ किया। à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ माना जाता है कि वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ के रूप में मनाया जाता है। परà¥à¤µ आषाॠमास की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ कहते हैं। इस दिन गà¥à¤°à¥ पूजा का विधान है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠके आरमà¥à¤ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिवà¥à¤°à¤¾à¤œà¤• साधà¥-सनà¥à¤¤ à¤à¤• ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहकर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ होते हैं। न अधिक गरà¥à¤®à¥€ और न अधिक सरà¥à¤¦à¥€à¥¤ इसलिठअधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ माने गठहैं। जैसे सूरà¥à¤¯ के ताप से तपà¥à¤¤ à¤à¥‚मि को वरà¥à¤·à¤¾ से शीतलता à¤à¤µà¤‚ फसल पैदा करने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है, वैसे ही गà¥à¤°à¥-चरणों में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ साधकों को जà¥à¤žà¤¾à¤¨, शानà¥à¤¤à¤¿, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और योग शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है। यह दिन महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के रचयिता कृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¥ˆà¤ªà¤¾à¤¯à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¥€ है। वे संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤‚ड विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। उनका à¤à¤• नाम वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आदिगà¥à¤°à¥ कहा जाता है और उनके समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ नाम से à¤à¥€ जाना जाता है। à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤² के संत घीसादास का à¤à¥€ जनà¥à¤® इसी दिन हà¥à¤† था वे कबीरदास के शिषà¥à¤¯ थे। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में गॠका अरà¥à¤¥ बताया गया है-अंधकार या मूल अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और रॠका का अरà¥à¤¥ किया गया है-उसका निरोधक। गà¥à¤°à¥ को गà¥à¤°à¥ इसलिठकहा जाता है कि वह अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तिमिर का जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤‚जन-शलाका से निवारण कर देता है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अंधकार को हटाकर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की ओर ले जाने वाले को शà¥à¤—à¥à¤°à¥à¤¶à¥ कहा जाता है। अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तिमिरांधसà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤‚जन शलाकया, चकचà¥à¤›à¥‚रू मिलिटम येन तसà¥à¤®à¥ˆ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥à¤µà¥ˆ नमः गà¥à¤°à¥ तथा देवता में समानता के लिठà¤à¤• शà¥à¤²à¥‹à¤• में कहा गया है कि जैसी à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ देवता के लिठहै वैसी ही गà¥à¤°à¥ के लिठà¤à¥€à¥¤ खà¥à¤•, बलà¥à¤•à¤¿ सदà¥à¤—à¥à¤°à¥ की कृपा से ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ संà¤à¤µ है। गà¥à¤°à¥ की कृपा के अà¤à¤¾à¤µ में कà¥à¤› à¤à¥€ संà¤à¤µ नहीं है। आषाॠमास की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ कहते हैं। इस दिन गà¥à¤°à¥ पूजा का विधान है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠके आरमà¥à¤ में आती है। इस दिन से चार महीने तक परिवà¥à¤°à¤¾à¤œà¤• साधà¥-सनà¥à¤¤ à¤à¤• ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहकर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ होते हैं। न अधिक गरà¥à¤®à¥€ और न अधिक सरà¥à¤¦à¥€à¥¤ इसलिठअधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ माने गठहैं। जैसे सूरà¥à¤¯ के ताप से तपà¥à¤¤ à¤à¥‚मि को वरà¥à¤·à¤¾ से शीतलता à¤à¤µà¤‚ फसल पैदा करने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है, वैसे ही गà¥à¤°à¥-चरणों में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ साधकों को जà¥à¤žà¤¾à¤¨, शानà¥à¤¤à¤¿, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और योग शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ 2022 में कब हैं, कब और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मनाई जाती हैं, कथा, महतà¥à¤µ, निबंध, मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤, सà¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤°, à¤à¤œà¤¨ देव शयनी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¸ के साथ ही हिंदू धरà¥à¤® में तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का ताता शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है इसी दिशा में अगला तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के रूप में मनाया जाने वाला है। जी हां गà¥à¤°à¥ को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने के लिठयह à¤à¤• दिन गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का दिन कहलाता है. यह कब, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और कैसे मनाया जाता है. इसकी पूरी जानकारी आपको इस लेख में मिल जाà¤à¤—ी. साथ ही इस साल गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का शà¥à¤ मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ कितने से कितने बजे तक का है इसकी जानकारी à¤à¥€ आपको हम यहाठदेने जा रहे हैं इसलिठइस लेख के साथ अंत तक बने रहिये। à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश के तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का à¤à¤• विशेष महतà¥à¤µ है। हिंदू धरà¥à¤® सिख धरà¥à¤® इन दोनों ही धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ में गà¥à¤°à¥ का à¤à¤• अलग ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, गà¥à¤°à¥ को सबसे ऊपर माना जाता है जोकि अंधकार को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में बदलने की शकà¥à¤¤à¤¿ रखता है। इस वरà¥à¤· महामारी के कारण सà¤à¥€ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को घर में बैठकर परिवारजनों के साथ ही मिलकर मनाया गया उसी तरह अब गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को à¤à¥€ घर में रहकर ही मनाना सही रहेगा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ à¤à¥€ महामारी का पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª अपनी जगह है। पिछले वरà¥à¤· की तरह इस वरà¥à¤· à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ महीने में है. इस तरह से इस दिन का महतà¥à¤µ और अधिक बà¥à¤¤à¤¾ चला जा रहा है. आइठजानते हैं गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ से जà¥à¥œà¥€ कई कहानियों à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ चीजों के बारे में। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन महरà¥à¤·à¤¿ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का जनà¥à¤® हà¥à¤† था महरà¥à¤·à¤¿ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे महाकावà¥à¤¯ की रचना की थी इसके साथ ही सà¤à¥€ अठारह पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रचना à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही की गई इसलिठइस दिन को वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मनाई जाती है मनà¥à¤·à¥à¤¯ और गà¥à¤°à¥ का à¤à¤• अटूट संबंध है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में गà¥à¤°à¥‚ को देव सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है गà¥à¤°à¥ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और सतà¥à¤•à¤¾à¤° के लिठही इस दिन गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ मनाई जाती है। हिंदू धरà¥à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी का जनà¥à¤® आषाॠमाह की शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को हà¥à¤† था जिसे आज के समय में गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के रूप में मनाया जाता है। हिंदू देश में à¤à¤—वान के ऊपर गà¥à¤°à¥ का महतà¥à¤µ बताया गया है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤—वान का हमारे जीवन में महतà¥à¤µ ही हमें गà¥à¤°à¥ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† है। यह माना जाता है कि अचà¥à¤›à¥‡ बà¥à¤°à¥‡ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ धरà¥à¤® अधरà¥à¤® आदि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पूरे विशà¥à¤µ में गà¥à¤°à¥ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही अपने शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दिया जाता है। इसी उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को पूरा करते हà¥à¤ गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° मनाया जाता हैऔर इस दिन पूरी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के साथ गà¥à¤°à¥ की उपासना की जाती है। हिंदू धरà¥à¤® में यह मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने जीवन में à¤à¤• गà¥à¤°à¥ बनाना चाहिà¤à¥¤ जिसके अंतरà¥à¤—त गà¥à¤°à¥ की दीकà¥à¤·à¤¾ ली जाती है और गà¥à¤°à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कहे गठआचरण का पालन किया जाता है माना जाता है कि इससे उस मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जीवन में मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और उसके जीवन के कषà¥à¤Ÿ काम होते हैं और उसे जीवन की à¤à¤• उचित राह मिलती है इस तरह उसका जीवन खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤² हो जाता है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ कब मनाई जाती है पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ आषाॠमास शà¥à¤•à¥à¤² पकà¥à¤· पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन मनाई जाती है। गà¥à¤°à¥‡à¤—ोरियन कैलेंडर के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ अथवा अगसà¥à¤¤ माह में मनाई जाती है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ कैसे मनाई जाती है गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन जलà¥à¤¦à¥€ उठकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर सà¥à¤µà¤šà¥à¤› कपड़ों का धारण किया जाता है। मंदिर अथवा घरों में बैठकर गà¥à¤°à¥ की उपासना की जाती है। गà¥à¤°à¥ के पूजन हेतॠकई लोग उनकी फोटो के सामने पाठपूजा करते हैं कई लोग धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में रहकर गà¥à¤°à¥ मंतà¥à¤° का जाप करते हैं। सिख समाज के लोग इस दिन गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ जाकर कीरà¥à¤¤à¤¨ à¤à¤µà¤‚ पाठपूजा करते हैं। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन कई लोग उपवास à¤à¥€ रखते हैं जिसमें à¤à¤• वकà¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• वकà¥à¤¤ फलाहार आदि का नियम का पालन किया जाता है। गà¥à¤°à¥ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन दान दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ का आयोजन à¤à¥€ किया जाता है। खास तौर पर गà¥à¤°à¥ का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ कर उनका पूजन करने की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ है।