पतंजलि योगपीठमें उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हरेला हरà¥à¤·à¥‹à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ के साथ मनाया गया जिसमें आचारà¥à¤¯ बालकृषà¥à¤£ महाराज के साथ माननीय केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ की धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ मृदà¥à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, माननीय सचिव पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨, मतà¥à¤¸à¥à¤¯ पालन, दà¥à¤—à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤—à¥à¤§ विकास, सहकारिता, गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ विकास, सीपीडी, यूजीवीà¤à¤¸-आरईà¤à¤ªà¥€ बी. पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® तथा मà¥à¤–à¥à¤¯ विकास अधिकारी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• जैन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे। पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ जी ने समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ‘हरेला परà¥à¤µâ€™ की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ कीं।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 16 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¥¤ पतंजलि योगपीठमें उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हरेला हरà¥à¤·à¥‹à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ के साथ मनाया गया जिसमें आचारà¥à¤¯ बालकृषà¥à¤£ महाराज के साथ माननीय केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ की धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ मृदà¥à¤²à¤¾ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, माननीय सचिव पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨, मतà¥à¤¸à¥à¤¯ पालन, दà¥à¤—à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ दà¥à¤—à¥à¤§ विकास, सहकारिता, गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ विकास, सीपीडी, यूजीवीà¤à¤¸-आरईà¤à¤ªà¥€ बी. पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® तथा मà¥à¤–à¥à¤¯ विकास अधिकारी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• जैन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे। पूजà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ जी ने समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ‘हरेला परà¥à¤µâ€™ की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚ पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ कीं। इस अवसर पर आचारà¥à¤¯ ने कहा कि हरेला परà¥à¤µ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– परà¥à¤µ है जो पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा कृषि संरकà¥à¤·à¤£ का संदेश देता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठहरेला परà¥à¤µ का विशेष महतà¥à¤µ है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में इसी दिन से सावन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मानी जाती है हालांकि देश के अनà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में सावन का आगमन पहले हो जाता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि हरेला परà¥à¤µ हरियाली और नई ऋतॠके आगमन का संकेत है। आचारà¥à¤¯ ने कहा कि हरेला से 9 दिन पहले सात अनाज- जौ, गेहूं, मकà¥à¤•à¤¾, गहत, सरसों, उड़द और à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ को रिंगाल की टोकरी में रोपित किया जाता है और किसान हरेले के तिनके देखकर बीज की गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ के साथ-साथ इस बात का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगा लेते हैं कि इस वरà¥à¤· कौन सी फसल उगाना शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤¯à¤•à¤° होगा।