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दक्षेश्वर मंदिर में भगवान शिव श्रावण मास में धरती पर आकर ब्रह्मांड का संचालन करते हैं।


श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। शिव की नगरी कनखल में भगवान भोलेनाथ की ससुराल स्थित है। जहां का अपना पौराणिक महत्व है। शिव भक्तों का श्रावण मास में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल में निवास करते हैं।

रिपोर्ट  - à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤¸ शर्मा

हरिद्वार 17 जुलाई (विकास शर्मा) श्रावण मास में कांवड़ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। शिव की नगरी कनखल में भगवान भोलेनाथ की ससुराल स्थित है। जहां का अपना पौराणिक महत्व है। शिव भक्तों का श्रावण मास में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल में निवास करते हैं। शिवपुराण के अनुसार जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। तब संसार की बागडोर भगवान शिव के हाथों में रहती है। 14 जुलाई से सावन मास का आरंभ हो चुका है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान शिव भगवान कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं और यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ अपनी ससुराल आ जाते हैं। हरिद्वार के पावन नगरी कनखल में भगवान शिव की ससुराल है। यहां स्थित दक्ष मंदिर में भगवान शिव माता सती से विवाह के बंधन में बंधे थे। भगवान भोले शंकर का दक्षेश्वर मंदिर विशेष महत्व रखता है। इस स्थान पर पूरे श्रावण मास में भगवान भोले शंकर की विशेष पूजा अर्चना शिव भक्तों द्वारा निरंतर की जाती जाती है।

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