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बैराज, नीलकंठ मार्ग, लक्ष्मण झूला और राजाजी नेशनल पार्क में 8 जल मन्दिरों की स्थापना


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा से शिवभक्तों के लिये राजाजी नेशनल पार्क, नीलकंठ मार्ग, लक्ष्मण झूला, बैराज और कांवडियों के पैदल मार्ग पर स्वच्छ जल की उपलब्धता हेतु 8 जल मन्दिरों स्थापना की गयी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 19 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा से शिवभक्तों के लिये राजाजी नेशनल पार्क, नीलकंठ मार्ग, लक्ष्मण झूला, बैराज और कांवडियों के पैदल मार्ग पर स्वच्छ जल की उपलब्धता हेतु 8 जल मन्दिरों स्थापना की गयी। परमार्थ निकेतन आश्रम द्वारा प्रतिवर्ष कांवड यात्रा के दौरान कांवडियों की सुविधा के लिये जल मन्दिरों की स्थापना की जाती है। इस तपती गर्मी में पैदल यात्रा के दौरान कांवडियों के लिये तो जल की एक-एक बूंद अमृत के सामान है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संदेश दिया कि जल ही जीवन है; जल है तो कल है तथा जल की प्रत्येक बंूद में जीवन है इसलिये जल के महत्व को समझे और कांवड यात्रा के दौरान जल संरक्षण का संकल्प ले। स्वामी जी ने कहा कि कांवड यात्रा के दौरान पैदल मार्ग पर अगर जल मन्दिरों की स्थापना की जाये तो प्लास्टिक बाॅटल का कचरा भी कम किया जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि गंगा जी को प्लास्टिक से गंदा न करें क्योंकि गंगा लाखों-लाखों लोगों को जीवन और जीविका प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि हमारे भीतर भी एक गंगा है। जब-जब जीवन में कठिनाईयों का विषपान करना पड़े तब अपने भीतर की गंगा मंे स्नान करें और अपने उस शिखर को छूये जो सत्यता का शिखर है। उस सत्यता के शिखर पर बैठकर हम अपने जीवन का चिंतन करे कि आखिर यह जहर क्यों? यह विष क्यों? और यह असफलता क्यों? इस बात पर चिंतन करते हुये फिर से साधना में लीन होे जाये। हमारी साधना यही है कि हम विष के द्वारा प्राप्त उष्णता को दूसरे को न बांटे बल्कि दूसरों को अमृत बांटे सुख बांटे और स्वंय साधना से गुजरते हुये अपने जीवन को भी शांत, मस्त और सिद्ध बना ले। कांवड यात्रा हमें यही संदेश देती है।

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