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राज्य बनने के बाद से ही प्लास्टिक बंद का अभियान चला रही है सरकारें फिर भी प्लास्टिक आज तक बंद क्यों नहीं?


प्लास्टिक की थैली में सामान खरीदकर ले जाने वाले लोगों पर अवश्य जुर्माना हुआ है लेकिन आज तक ना तो प्लास्टिक बेचने वाली एक भी फैक्ट्री बंद हुई है ना ही कोई दुकान इस बार धामी सरकार ने भी पूरे राज्य में प्लास्टिक बंद करने का अभियान चलाया है यह अभियान कितना सफल होता है यह आने वाला समय बताएगा क्योंकि सभी को पता है इस प्लास्टिक से पर्यावरण को कितना बड़ा नुकसान है यह हमारे पर्यावरणविद द्वारा लिखे गए लेखों में व्याप्त है लेकिन इसके बावजूद भी यह अभियान कुछ सप्ताह चलाकर बंद हो जाते हैं लेकिन प्लास्टिक बंद नहीं होती|

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगातार सभी सरकारें बैन करने को लेकर अभियान चला रही हैं उत्तराखंड राज्य में जो भी सरकार आती है सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करना चाहती हैं लेकिन आज राज्य को बने लगभग 22 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज तक प्लास्टिक बंद नहीं हो पाई है और नाही प्लास्टिक बनाने वाली एक भी फैक्ट्री पर ताला लगाया गया है| प्लास्टिक की थैली में सामान खरीदकर ले जाने वाले लोगों पर अवश्य जुर्माना हुआ है लेकिन आज तक ना तो प्लास्टिक बेचने वाली एक भी फैक्ट्री बंद हुई है ना ही कोई दुकान इस बार धामी सरकार ने भी पूरे राज्य में प्लास्टिक बंद करने का अभियान चलाया है यह अभियान कितना सफल होता है यह आने वाला समय बताएगा क्योंकि सभी को पता है इस प्लास्टिक से पर्यावरण को कितना बड़ा नुकसान है यह हमारे पर्यावरणविद द्वारा लिखे गए लेखों में व्याप्त है लेकिन इसके बावजूद भी यह अभियान कुछ सप्ताह चलाकर बंद हो जाते हैं लेकिन प्लास्टिक बंद नहीं होती 1 माह पूर्व हरिद्वार हर की पौड़ी पर बड़े जोर शोर से प्लास्टिक बंद को लेकर अभियान चलाया गया जुर्माना किया गया लेकिन उसके बावजूद भी कांवड़ मेले में टनों के हिसाब से हर की पौड़ी पर पॉलिथीन के अंबार लगे मिले हर की पौड़ी पर ही नगर निगम द्वारा फूल फरोशी के ठेकों पर कुन्टलों प्लास्टिक बेची गई जबकि नगर निगम ने ही 1 माह पूर्व प्लास्टिक पूर्ण तरह से प्रतिबंधित कर दी थी लेकिन नगर निगम द्वारा फूल फरोशी के ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए 50 बाई 50 की अवैध दुकानें लगवा कर प्लास्टिक बेची गई जब इस तरह अधिकारी निजी फायदे के लिए प्लास्टिक बैग लाएंगे तो यह अभियान कहां तक कामयाब होंगे?

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