संपूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में महान गà¥à¤°à¤‚थ शà¥à¤°à¥€ रामचरितमानस के रचयिता गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज के सà¥à¤®à¤°à¤£ में संत समाज ने धूमधाम से तà¥à¤²à¤¸à¥€ जयंती मनाई। इस अवसर पर सà¤à¥€ तेरह अखाड़ों के संत महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने तà¥à¤²à¤¸à¥€ चौक पर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर शà¥à¤°à¥€ रामानंद आशà¥à¤°à¤® तक à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का आयोजन किया।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, 4 अगसà¥à¤¤à¥¤ संपूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में महान गà¥à¤°à¤‚थ शà¥à¤°à¥€ रामचरितमानस के रचयिता गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज के सà¥à¤®à¤°à¤£ में संत समाज ने धूमधाम से तà¥à¤²à¤¸à¥€ जयंती मनाई। इस अवसर पर सà¤à¥€ तेरह अखाड़ों के संत महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने तà¥à¤²à¤¸à¥€ चौक पर पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर शà¥à¤°à¥€ रामानंद आशà¥à¤°à¤® तक à¤à¤µà¥à¤¯ शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ का आयोजन किया। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को संबोधित करते हà¥à¤ बाबा हठयोगी दिगंबर ने कहा कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® के परम à¤à¤•à¥à¤¤ थे और शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® की मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾, वीरता à¤à¤µà¤‚ सामानà¥à¤¯ जन के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनके पà¥à¤°à¥‡à¤® से अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे। à¤à¤—वान राम दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ साधारण मानव के रूप में किठगठसतà¥à¤•à¤°à¥à¤® की कथा को सामानà¥à¤¯ लोगों तक पहà¥à¤‚चाने के लिठही तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने शà¥à¤°à¥€ रामचरितमानस की रचना की। जो वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ तक समाज का मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर समाज में फैली कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मिटाने में सहायक है। हम सà¤à¥€ को गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर राषà¥à¤Ÿà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में अपनी सहà¤à¤¾à¤—िता को सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करना चाहिà¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¹à¤‚त विषà¥à¤£à¥ दास à¤à¤µà¤‚ महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज ने कहा कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ महानतम और जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ कवियों में से à¤à¤• थे। जिनकी रचनाà¤à¤‚ आज à¤à¥€ पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती हैं। गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज ने अपनी रचनाओं के माधà¥à¤¯à¤® से समाज में फैले à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ और छूत अछूत जैसी बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के अंत के लिठसमाज को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। à¤à¤¸à¥‡ महान महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को संत समाज सदैव नमन करता है। चेतन जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ आशà¥à¤°à¤® के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ऋषिशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤‚द महाराज ने कहा कि गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ à¤à¤• महान कवि होने के साथ-साथ संत, सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• और दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• थे और जगतगà¥à¤°à¥ रामानंद की गà¥à¤°à¥ परंपरा के रामानंदी संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ के थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ धरà¥à¤® के मारà¥à¤— पर चलने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी। आज à¤à¥€ उनका जीवन सà¤à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤‚गिक है। रामानंद आशà¥à¤°à¤® के महंत पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ महाराज à¤à¤µà¤‚ महंत दà¥à¤°à¥à¤—ादास महाराज ने कहा कि कलयà¥à¤— के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ सनातन हिंदू धरà¥à¤® यदि किनà¥à¤¹à¥€ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का सबसे अधिक ऋणी है तो वह हैं आदि गà¥à¤°à¥ शंकराचारà¥à¤¯ और गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¥¤ बौदà¥à¤§ मत के कारण लà¥à¤ªà¥à¤¤ होती वैदिक परंपराओं को पà¥à¤°à¥à¤¨à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करके दिगिदिनà¥à¤—त में सनातन हिंदू धरà¥à¤® की पताका को फहराया और जिस समय गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² नषà¥à¤Ÿ किठजा रहे थे। शासà¥à¤¤à¥à¤° और शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤œà¥à¤ž दोनों विनाश को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे थे। à¤à¤¸à¥‡ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• काल में गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ पà¥à¤°à¤šà¤‚ड सूरà¥à¤¯ की à¤à¤¾à¤‚ति उदय हà¥à¤à¥¤ सनातन धरà¥à¤® के संरकà¥à¤·à¤£ संवरà¥à¤§à¤¨ और उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में उनका योगदान सदैव अतà¥à¤²à¥à¤¯ रहेगा। इस अवसर पर महंत रघà¥à¤µà¥€à¤° दास, महंत बिहारी शरण, महंत नारायण दास पटवारी, महंत पà¥à¤°à¤¹à¥à¤²à¤¾à¤¦ दास, महंत गोविंद दास, महंत अरà¥à¤£ दास, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रविदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिहरानंद, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दिनेश दास, महंत गà¥à¤°à¤®à¥€à¤¤ सिंह, महंत शà¥à¤¯à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ गंगादास उदासीन, महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कपिल मà¥à¤¨à¤¿, महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिचेतनानंद, महामंडलेशà¥à¤µà¤° सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ललितानंद गिरि, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ऋषि रामकृषà¥à¤£, महंत शिवानंद, महंत गंगादास, महंत निरà¥à¤®à¤² दास, महंत दामोदर दास सहित बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में संत महापà¥à¤°à¥à¤· उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहे।