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प्रदेश के हर घर पहुंचे शिक्षा का प्रकाश : श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी


श्री देव सुमन उत्तराखण्ड राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिव के.आर. भट्ट एवं एस.एम.जे.एन. काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा के मध्य विश्वविद्यालय की 21 अगस्त, 2022 को आयोजित होने वाली प्रस्तावित बी.एड. प्रवेश परीक्षा के सन्दर्भ में काॅलेज में गहन चर्चा हुई, जिस पर प्राचार्य ने उक्त हेतु सम्पूर्ण सहयोग देने की सहमति व्यक्त की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार 05-08-2022, श्री देव सुमन उत्तराखण्ड राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिव के.आर. भट्ट एवं एस.एम.जे.एन. काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा के मध्य विश्वविद्यालय की 21 अगस्त, 2022 को आयोजित होने वाली प्रस्तावित बी.एड. प्रवेश परीक्षा के सन्दर्भ में काॅलेज में गहन चर्चा हुई, जिस पर प्राचार्य ने उक्त हेतु सम्पूर्ण सहयोग देने की सहमति व्यक्त की। इसी क्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव के.आर. भट्ट ने श्री महन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, माँ मंशा देवी मन्दिर ट्रस्ट व काॅलेज प्रबन्ध समिति से चरण पादुका स्थल पहुंचकर भेंट की एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर विचारविमर्श के मध्य श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी ने कहा कि उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ आस-पास कोई स्कूल अथवा शिक्षण संस्थान की व्यवस्था नहीं है, वहाँ रहने वाले बच्चों को शिक्षा उनके घर में उपलब्ध कराने के लिए एक नवीन पहल का प्रारम्भ किया जायेगा। उन्होंने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों, स्लम बस्तियों के ऐसे बच्चे चाहे वह लड़की हो अथवा लड़की, जो स्कूल नहीं जा पाते हैं उनको शिक्षा हेतु मोबाइल शिक्षण वैन का प्रयोग किया जायेगा, जिसका प्रत्येक 15 किलोमीटर के दायरे में एक केन्द्र उत्तराखण्ड सरकार के सहयोग से बनाया जायेगा। श्री महन्त ने कहा कि ‘पढ़े भारत-बढ़े भारत’ की तर्ज पर ‘पढ़े उत्तराखण्ड-बढ़े उत्तराखण्ड’ का आयोजन किया जाना चाहिए, इसके लिए शिक्षा के लिए घर-घर अलख जगायी जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को ही किसी देश का मेरूदण्ड कहा जा सकता है, इसी आधारशिला पर इसकी उन्नति व अवनति निर्भर रहती है। श्री महन्त ने कहा कि ‘भिक्षा नहीं शिक्षा’ जैसे जागरूक अभियान चलाकर, अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रत्येक बच्चे की आसान पहुंच के भीतर हो, इसके लिए सरकार को हस्तक्षेप करने और नीतियाँ बनाने की आवश्कता है।

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