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गांव सजेगा तो देश सजेगा - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


युवाओं में शिक्षा के साथ कौशल विकास करने, अपने जुनून को खोजने और अपने सपनों को पूरा करने हेतु डिवाइन शक्ति फाउंडेशन, परमार्थ निकेतन द्वारा ऋषिकेश के युवाओं के लिये ‘शक्ति विकास केन्द्र’ सिंधी धर्मशाला, त्रिवेणी घाट में खोला गया। जिसमें कक्षा 8 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को सभी विषय पढ़ाये जायेंगे। साथ ही अंग्रेजी विषय, कम्प्यूटर की समग्र जानकारी तथा राज्य और केन्द्र स्तर पर होने वाली विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के विषय में भी विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जायेगा। बच्चों के व्यक्तित्व और मानसिक विकास हेतु भी उन्हें विशेषज्ञों का सान्निध्य प्राप्त होगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। युवाओं में शिक्षा के साथ कौशल विकास करने, अपने जुनून को खोजने और अपने सपनों को पूरा करने हेतु डिवाइन शक्ति फाउंडेशन, परमार्थ निकेतन द्वारा ऋषिकेश के युवाओं के लिये ‘शक्ति विकास केन्द्र’ सिंधी धर्मशाला, त्रिवेणी घाट में खोला गया। जिसमें कक्षा 8 से 12 वीं तक के विद्यार्थियों को सभी विषय पढ़ाये जायेंगे। साथ ही अंग्रेजी विषय, कम्प्यूटर की समग्र जानकारी तथा राज्य और केन्द्र स्तर पर होने वाली विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा के विषय में भी विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जायेगा। बच्चों के व्यक्तित्व और मानसिक विकास हेतु भी उन्हें विशेषज्ञों का सान्निध्य प्राप्त होगा। शक्ति विकास केन्द्र में सभी कक्षायें निःशुल्क होगी तथा वहां पर बच्चों के लिये पुस्तकालय की भी व्यवस्था है। परमार्थ निकेतन का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा धन के अभाव में शिक्षा से वंचित न हो, सभी को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर प्राप्त हो सके। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर शक्ति विकास केन्द्र में आये बच्चों ने अपने व्यक्तिगत अनुभव प्रेरक कहानियांे के माध्यम से साझा किये। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर कहा कि समाज के विकास में आज के युवाओं के योगदान को चिह्नित करने के लिए पूरा विश्व प्रतिवर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाता है। हमें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सभी पीढ़ियों की आवश्यकता है। यह भी ध्यान रखना होगा कि हमें किसी भी पीढ़ी को पीछे नहीं छोड़ना है। युवा और वृद्धों के बीच सकारात्मक संबंधों को स्थापित करने कि लिये इस वर्ष की थीम ‘अंतर पीढ़ीगत एकजुटता’ सभी उम्र के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण करना रखी गयी है। स्वामी जी ने कहा कि हमारी संस्कृति, संस्कार और धार्मिक परंपरायें तात्कालिक जरूरतों और समस्याओं की पूर्ति के लिये अस्तित्व में आयी हैं तथा ये हमारे ऋषियों और पूर्वजों द्वारा प्रामाणिक और परिष्कृत की हुई हैं और हर युग के लिये प्रासंगिक हैं, इसलिये बच्चों को कार दे या न दे संस्कार अवश्य दें। आजकल कार के नये-नये माॅडल आ रहे हैं परन्तु जीवन से संस्कार समाप्त होते जा रहे हैं। संस्कार हमारी आध्यात्मिक और नैतिक धरोहर है। सौम्यता और संस्कारों के बल पर हम दुनिया को बदल सकते हैं। शिक्षा और संस्कार वह शक्तिशाली शस्त्र है जिसके बल पर समाज में सकारात्मक क्रान्ति लायी जा सकती है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन का हमेशा ही प्रयास रहा है कि बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कारों से भी पोषित करे ताकि बेहतर कल का निर्माण किया जा सके।

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