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सनातन धर्म सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ है - श्रीमहंत बलवीर गिरी


बाघंबरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ है। संत समाज जिसका अनुसरण कर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करते चले जा रहे हैं और संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है। श्री बिल्केश्वर महादेव मंदिर में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि बिल्केश्वर महादेव मंदिर एक पौराणिक सिद्ध स्थल है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, 13 अगस्त। बाघंबरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म सबसे प्राचीन और श्रेष्ठ है। संत समाज जिसका अनुसरण कर राष्ट्र निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करते चले जा रहे हैं और संत परंपरा पूरे विश्व में भारत को महान बनाती है। श्री बिल्केश्वर महादेव मंदिर में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि बिल्केश्वर महादेव मंदिर एक पौराणिक सिद्ध स्थल है। जिसकी अति प्राचीन मान्यता है। यहां आने वाले हर श्रद्धालु भक्तों को भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की कृपा का भी आशीर्वाद मिलता है। जो श्रद्धालु भक्त यहां सच्चे मन से आते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं महादेव पूर्ण करते हैं। कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन सेवा और परोपकार को समर्पित रहता है। श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज युवा संत हैं। जो सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए देश की उन्नति में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। युवा संत भारत को श्रेष्ठ बनाने में अपना योगदान प्रदान करें। यही संत समाज कामना करता है। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि भारत संपूर्ण विश्व में अनेकता में एकता को दर्शाता है और महापुरुषों ने सदैव ही राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। बिल्केश्वर महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। महादेव के उपासक को हर क्षेत्र में उन्नति मिलती है और सुख समृद्धि का वास सदा उसके घर में रहता है। श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज के सानिध्य में बिल्केश्वर महादेव मंदिर का विकास अद्भुत है। हम सभी उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। इस अवसर पर दिगंबर गंगागिरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगंबर राजगिरी, स्वामी रघु वन, स्वामी आलोक गिरी, स्वामी मधुर वन, स्वामी रवि बन, स्वामी पुनीत पुरी, स्वामी रवि देव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत सूरज दास, महंत अरुण दास, राजमाता आशा भारती, स्वामी नित्यानंद सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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