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ग्लेशियर पर पुण्यस्मरण और प्रार्थना, श्री अटल बिहारी बाजपेयी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आइसलैंड की धरती से भारतीय, यूरोपवासियों और अमेरिकी परिवारों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुये भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। स्वामी जी ने कहा कि माननीय अटल जी की दूरदृष्टि और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिव्यदृष्टि से भारत आगे बढ़ रहा है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 16 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आइसलैंड की धरती से भारतीय, यूरोपवासियों और अमेरिकी परिवारों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुये भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। स्वामी जी ने कहा कि माननीय अटल जी की दूरदृष्टि और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिव्यदृष्टि से भारत आगे बढ़ रहा है। श्री अटल जी की कविता ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता है’ इस प्रकार उन्होंने विशाल हृदय की जो कल्पना की वह अद्भुत है। आज ऐसे ही विशाल हृदय की आवश्यकता है ताकि सबका साथ-सबका विकास के संकल्प के साथ भारत आगे बढ़ता रहे। स्वामी जी ने कहा कि 75 वां आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘हर घर तिरंगा’ एक अभियान ही नहीं है बल्कि देशभक्ति का महासंकल्प है। इस अभियान के माध्यम से पूरे विश्व मंे भारत की संस्कृति और संस्कार छाये हुये हैं। स्वामी जी ने अटल जी को याद करते हुये कहा कि उन्होंने लिखा कि ‘‘काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं। अब समय आ गया है कि हम राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रप्रेम का गीत गाये; पर्यावरण का गीत गाये ताकि पिघलते ग्लेशियर और प्रदूषित होते वातावरण को सुरक्षित रखा जा सके। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि अटल जी, अटल थे, सबल थे और निर्बलों के बल थे, वे जिससे भी मिलते थे सहजता से उसके हृदय को छू लेते थे। अटल जी लोकसभा में हो या जन सभाओं में हो उनकी वाणी, उनकी विद्वता और उनकी नम्रता की त्रिवेणी समाज के हर वर्ग के व्यक्ति को छू लेती थी। अटल जी जाने से पहले हमें अपनी कविताओं की ऐसी रोशनी और जोश दे गये जो इस देश को सदियों तक रोशन और जागृत बनाये रखेगा। वे कुशल संगठन कर्ता थे; प्रखर प्रवक्ता थे और सफल राजनेता थे। कितनी भी जटिल से जटिल समस्यायंे हों या जटिल विषय हांे उनका कवि हृदय सहजता से उन्हें सुलझा लेता था। उनका जीवन स्वयं के लिये नहीं बल्कि नये भारत के सृजन के लिये ही था। उनकी कविताओं में देशभक्ति, राष्ट्र निष्ठा और देश के प्रति प्रेम ओतप्रोत है, वे हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके विचार हमेशा जीवंत बने रहेंगे।

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