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भगवान श्री कृष्ण ने जीवन को पूर्णता का संदेश दिया - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन में धूमधाम से जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने नृत्य, गीत-संगीत और भजन संध्या से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ऋषिकुमारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 19 अगस्त। परमार्थ निकेतन में धूमधाम से जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने नृत्य, गीत-संगीत और भजन संध्या से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ऋषिकुमारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने देशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनायें देते हुये अपने संदेश में कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म सम्पूर्ण मानवता के लिये एक वरदान है। श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में विभिन्न रूपों को जिया हैं। बाललीला से लेकर रासलीला तक, अनेक व्यक्तित्वों को जीवंत बनाया। उन्होंने अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड को श्रीमद्भगवद् गीता का दिव्य संदेश दिया, जो हर युग के लिये प्रासंगिक है। ‘‘निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्’’ ‘‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।’’ ’’योगः कर्मसु कौशलम्’’ ‘‘पृथिव्याम् सर्व मानवा, ’’इद्म न मम’’ भागो नहीं जागो, ऐसे अनेक दिव्य सूत्र दिये।। जन्माष्टमी पर हम कृष्ण उत्सव में श्रीकृष्ण जी के जीवन की घटनाओं को झाँकी, संगीत, नृत्य आदि अनेक माध्यमों से प्रस्तुत करें परन्तु मूल उद्देश्य से भी जुड़ें रहे। जिस प्रकार श्री कृष्ण भगवान ने प्रकृति, पर्यावरण, पहाडों, नदियों का संरक्षण किया उस उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ते रहे। भगवान श्री कृष्ण का जीवन एक रंग-बिरंगे विशाल कैनवास की तरह है, जिसमें मानव-संस्कृति, सभ्यता, संस्कार और जीवन का उद्देश्य समाहित है। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन को पूर्णता के साथ जिया है और यही संदेश सम्पूर्ण मानवता को भी दिया। उन्होंने जीवन को नृत्य व संगीत की तरह मस्त होकर जिया। उनके चरित्र में जीवन का उत्तम राग, प्रेम, योग, ध्यान, धर्म, राजनीति, युद्धनीति और शान्ति का संदेश समाहित है। जीवन की वास्तविकता को स्वीकार करने के सर्वश्रेष्ठ सूत्र भगवान कृष्ण ने हमें दिये हैं। भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के राग को बांसुरी के माध्यम से हमेशा जीवंत रखा। उन्होंने जीवन की सम्पूर्णता का सृजन बड़ी ही सुंदरता से किया। स्वामी जी ने कहा कि आईये इन्हीं दिव्य सूत्रों को आत्मसात कर जन्माष्टमी का पर्व मनायें।

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