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"मैं निर्भया हूँ " पुस्तक का विमोचन


महिला सशक्तिकरण पर आयोजित संगोष्ठी व "मैं निर्भया हूँ " पुस्तक क़े विमोचन कार्यक्रम में वक्ताओं नें अपने विचार रखते हुऐ कहा की भारतीय संस्कृति में महिलाओं का साथ पूजनीय रहा है,इसलिए महिलाओं को समाज की अमूल्य धरोहर माना जाता हैं। महिलाएं परिवार का सम्मान व प्रतिष्ठा की प्रतीक है। महिला आयोग की चेयरपर्सन कुसुम कंडवाल ने मैं निर्भया हूं,पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अपने विचार रखें।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। देर सांय प्रेस क्लब हरिद्वार सभागार में महिला सशक्तिकरण पर आयोजित संगोष्ठी व "मैं निर्भया हूँ " पुस्तक क़े विमोचन कार्यक्रम में वक्ताओं नें अपने विचार रखते हुऐ कहा की भारतीय संस्कृति में महिलाओं का साथ पूजनीय रहा है,इसलिए महिलाओं को समाज की अमूल्य धरोहर माना जाता हैं। महिलाएं परिवार का सम्मान व प्रतिष्ठा की प्रतीक है। महिला आयोग की चेयरपर्सन कुसुम कंडवाल ने मैं निर्भया हूं,पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अपने विचार रखें। रविवार देर सांय तक प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन व मुख्यातिथि कुसुम कंडवाल ने कहा कि महिलाओं को सदैव अपनी मर्यादा में रहकर आचरण व व्यवहार करना चाहिए।क्योंकि सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं का गौरवपूर्ण दायित्व बनता है।प्रत्येक महिला मां, बहन,पत्नी व पुत्री के रूप में पारिवारिक जीवन का अभिन्न अंग है।ऐसी परिस्थितियों में महिलाओं को परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों का सही निर्वाह करना चाहिए।उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार महिलाओं को संवैधानिक अधिकारों के साथ कानूनी अधिकार दिलाने के लिए प्रयासरत है। यही वजह है,जिसमें केंद्र सरकार ने महिलाओं को सामाजिक व कानूनी अधिकार दिलाने के लिए पॉक्सो एक्ट कानून की स्थापना की। कहा कि महिलाओं को पोक्सो अधिनियम व कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग नही करना चाहिए।क्योंकि इससे समाज में महिलाओं के प्रति सहानुभूति में कमी देखनी पड़ रही हैं । उन्होंने महिला सशक्तिकरण विषय पर आयोजित गोष्ठी में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अरविंद श्रीवास्तव की पुस्तक मैं निर्भया हूं, की प्रसंशा कर सभी महिलाओं से इस पुस्तक को पढ़ने की अपील की। विशिष्ट अतिथि व श्री गंगा सभा क़े महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने मां की कल्पना नदियों से करते हुए कहा कि जैसे नदियां हमें जल,जीवन व भोजन प्रदान करती है, इसी तरह मां भी मानव जीवन का आधार व पोषणकर्ता है। कहा कि महिला किसी भी रुप में हो,वह सदैव ही सम्मान की हकदार हैं। कार्यक्रम में पधारे वरिष्ठ समाजसेवी डॉ विशाल गर्ग ने कहा कि 21वीं सदी में महिलाएं हर क्षेत्र में रोजाना नये आयाम स्थापित कर रही है। पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ महिलाएं राजनीति, खेल,चिकित्सा, वैज्ञानिक आविष्कार,थल,जल सेना समेत लड़ाकू विमान भी उड़ा रही हैं। वर्तमान में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं है।इसके बावजूद महिलाओं को अपनी पारिवारिक व सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए। कार्यक्रम क़े अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते रूल ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन क़े अध्यक्ष डॉ अरविंद श्रीवास्तव एडवोकेट ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका अग्रणीय है। प्रत्येक महिला परिवार की रीढ़ का कार्य करती है।उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं पर हुए अत्याचार पर केंद्रित पुस्तक, मैं निर्भया हूं,की प्रेरणा भी महिला के प्रति समर्पित है। मंच का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती सुमन पंत एवं विकास तिवारी ने किया। इससे पूर्व राष्ट्रगान के साथ मां सरस्वती की वंदना में दीपांजलि की। संस्था द्वारा सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली अग्रणी महिलाओं को संस्था अध्य्क्ष डॉ अरविंद कुमार श्रीवास्तव एवं महामंत्री प्रशांत राजपूत जी द्वारा सभी अतिथियों को बुके व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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