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बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हो रही है


हिमालय दिवस की इस वर्ष की थीम ‘हिमालय एक जलवायु नियंत्रक’ रखी गयी है। हिमालय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वायु, मिट्टी, जंगल, जल और न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हो रही है, यह न केवल भारत व एशिया के लिए पूरे विश्व के लिये खतरे का कारण है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिमालय दिवस-हिमालय जाग्रति और जनसमुदाय को जगाने के लिये है। हिमालय जागेगा तो भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जागेगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 8 सितम्बर। हिमालय दिवस की पूर्व संध्या पर प्रेस कान्फ्रेस का आयोजन किया गया जिसे परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और पद्मश्री डॉ. जोशी ने संबोधित किया। हिमालय दिवस की इस वर्ष की थीम ‘हिमालय एक जलवायु नियंत्रक’ रखी गयी है। हिमालय प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से वायु, मिट्टी, जंगल, जल और न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है। बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिग के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हो रही है, यह न केवल भारत व एशिया के लिए पूरे विश्व के लिये खतरे का कारण है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिमालय दिवस-हिमालय जाग्रति और जनसमुदाय को जगाने के लिये है। हिमालय जागेगा तो भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जागेगा। हिमालय में हर कदम पर संजीवनी है अब हम सभी को भी संजीवनी बनाना होगा। स्वामी जी ने कहा हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक है, हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है - जैव विविधता का अकूत भंडार भी है। हिमालय केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है। हिमालय हमारा स्पिरिचुअल लैण्ड है, और स्विटरजरलैंड भी हैं। नो हिमालय, नो गंगा, हिमालय है तो हम है, हिमालय है तो गंगा है. हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त. नो ग्लेशियर नो गंगा इसलिये हिमालय का संरक्षण नितांत आवश्यक है। पद्मश्री डॉ. जोशी जी ने बताया कि हिमालय दिवस का मुख्य कार्यक्रम परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद, नेतृत्व और मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है। जिसमें राजनीतिक नेतृत्व, सामाजिक संगठन व विभिन्न वर्गों से बुद्धिजीवी सहभाग कर रहे हैं। इस अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालय, एफआरआई वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भागीदारी करेंगे। डा जोशी जी ने ईकोलाजी और ईकोनामी के संबंधों पर भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया हमें ऐसी नीतियों पर चर्चा की जायेगी जिसमें स्थानीय नुकसान कम हो। दुनिया में यह संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है कि बढ़ते तापक्रम के कारण हिमालय की संवेदनशीलता पर सीधा असर पड़ रहा है इसलिए हमें अपनी जीवन शैली के बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि हिमालय की सुरक्षा के साथ भावी पीढ़ियों का भी जीवन सुरक्षित किया जा सके।

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