Latest News

हिमालय, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है - रमेश पोखरियाल निशंक


हिमालय दिवस शिखर सम्मेलन के चिंतन सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी, पद्मश्री डाॅ अनिल जोशी , विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी जी, मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई जी, विख्यात विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविद्ों ने पूरा दिन चिंतन मंथन कर भावी वर्ष की योजनायें बनायी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 9 सितम्बर। हिमालय दिवस शिखर सम्मेलन के चिंतन सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जी, पद्मश्री डाॅ अनिल जोशी , विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी जी, मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई जी, विख्यात विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविद्ों ने पूरा दिन चिंतन मंथन कर भावी वर्ष की योजनायें बनायी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हम सभी को हिमालयन संस्कृति का सशक्त हस्ताक्षर बनाना होगा। हिमालय की पीड़ा हम सभी की प्रेरणा बने। हिमालय संस्कृति की आत्मा को जीवंत रखने के लिये हमें आगे आना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करना होगा। पूर्व मुख्यमंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक जी ने कहा कि हिमालय, भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। हमें गावों की तकदीर और तस्वीर बदलने के लिये आगे आना होगा। युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि हमारे पास विज़न और मिशन होना चाहिये तभी हम हिमालय को जाग्रत और जीवंत बनाये रख सकते है। एक हिमालय दिवस ऐसा होना चाहिये जब पूरी दुनिया हिमालय दिवस के बारे में सोचे, समझे और चिंतन करें। उन्होंने बच्चों से पूछा कि क्या हम हिमालय को जानते हैं? क्या हिमालय से हमारा साक्षात्कार हुआ हैं? उत्तराखंड पूरी दुनिया की जाग्रति का केन्द्र है और यही तो हिमालय हैं; यह महर्षि चरक की भूमि है और यही पर वेदों का जन्म हुआ है। ये केवल पहाड़ नहीं है बल्कि भारतीय संस्कृति का उद्गाता है। हिमालय जिस दिन आहट करेगा उस दिन पूरी दुनिया संकट में आ सकती है इसलिये हमें हिमालय को समझना पड़ेगा। हिमालय में प्रकृति और संस्कृति का अद्भुत समन्वय है। प्रकृति होगी तो संस्कृति होगी और प्रकृति नष्ट होती है तो विकृति आने लगती है। पद्मश्री डाॅ अनील जोशी जी ने वर्ष 2023 में मनाये जाने वाले हिमालय दिवस की योजना प्रस्तुत की।

Related Post