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अहंकार और मोह का नाश करती है श्रीमद् भागवत कथा : स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री


श्री मद्भागवत कथा मर्मज्ञ स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री ने कहा कि सामर्थ्यवान को दोष नहीं लगता है। उसके सभी अपराध क्षमा हो जाते हैं। वहीं निर्दोष होने के बावजूद कमजोर व्यक्ति को अपराध का दंड भोगना पड़ता है। शनिवार को संत समागम व विशाल भंडारे के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन होगा।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। श्री मद्भागवत कथा मर्मज्ञ स्वामी सच्चिदानंद शास्त्री ने कहा कि सामर्थ्यवान को दोष नहीं लगता है। उसके सभी अपराध क्षमा हो जाते हैं। वहीं निर्दोष होने के बावजूद कमजोर व्यक्ति को अपराध का दंड भोगना पड़ता है। शनिवार को संत समागम व विशाल भंडारे के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन होगा। श्री मद्भागवत जयंती के पावन अवसर पर गुरू मंडलाश्रम, के गुरूदेव लोक संस्कृति भवन, देवपुरा, हरिद्वार में चल रही श्रीमद्भागवत भक्ति ज्ञान यज्ञ के छठे दिवस पर कथा व्यास श्रीमद् भागवत नाम प्रचार समिति के अध्यक्ष श्री महंत सच्चिदानंद शास्त्री महाराज,( श्री गोपालजी मंदिर, पत्थरपुरा, श्री धाम वृंदावन) ने भक्तों को सुदामा प्रसंग का वर्णन सुनाया।‌ उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी सुदामा ने भगवान के नाम का स्मरण करना नहीं छोड़ा। अंत में भगवान को भी सुदामा के सामने नतमस्तक होकर उसकी दरिद्रता को समाप्त करने के लिए विवश होना पड़ा। उन्होंने कहा भगवान सर्वज्ञ हैं सर्वव्यापी हैं और सभी भक्तों पर अपनी समान कृपा दृष्टि बरसाते रहते हैं। लेकिन अंकल और मुख के चलते भक्त भगवान से दूर रहते हैं ‌। श्रीमद् भागवत कथा कथा व्यक्ति के आकार का नाश करती है। मोह माया के बंधन से ऊपर उठकर व्यक्ति परम आनंद की प्राप्ति करता है। उन्होंने कहा कि तीर्थ नगरी हरिद्वार में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले भक्तों धन्य है, ऐसे भक्तों को भगवान की कृपा अवश्य प्राप्त होगी इसमें तनिक भी संशय नहीं है।

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