कनखल में गंगा के तट पर सतीघाट में सिखों के तीसरे गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ अमर दास जी का तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन कल शनिवार को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पकà¥à¤· के पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤ समागम à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¥ जन सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ समारोह का आयोजन होगा इस à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तप सà¥à¤¥à¤² का जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° और सौंदरà¥à¤¯à¥€à¤•à¤°à¤£ महंत शà¥à¤°à¥€ संजय सिंह महाराज और उनकी माताजी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ बिंनिंदर कौर सोढ़ी बिनà¥à¤¨à¥€ ने गà¥à¤°à¥ महाराज से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अंतः पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से करवाया.
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
कनखल में गंगा के तट पर सतीघाट में सिखों के तीसरे गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ अमर दास जी का तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन कल शनिवार को शà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤§ पकà¥à¤· के पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन उनकी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤ समागम à¤à¤µà¤‚ गà¥à¤°à¥ जन सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ समारोह का आयोजन होगा इस à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तप सà¥à¤¥à¤² का जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° और सौंदरà¥à¤¯à¥€à¤•à¤°à¤£ महंत शà¥à¤°à¥€ संजय सिंह महाराज और उनकी माताजी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ बिंनिंदर कौर सोढ़ी बिनà¥à¤¨à¥€ ने गà¥à¤°à¥ महाराज से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अंतः पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से करवाया. सिखों के तीसरे गà¥à¤°à¥ अमर दास जी ने किया को तीरà¥à¤¥ नगरी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° और गंगा मैया ने हमेशा आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। गà¥à¤°à¥ अमरदास जी को जब यह पता चला कि तीरà¥à¤¥ नगरी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की उपनगरी कनखल के गंगा तट पर सती घाट में सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ है तो वे पंजाब के अमृतसर जिले के बासर गांव से कनखल अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ आठऔर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के खिलाफ गंगा के पावन तट पर अलख जगाई। साधà¥-संतों और पंडों पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ को सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को बंद करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया और विधवा महिलाओं के सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ और पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ कराने का कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‚ करवाया। 500 साल पूरà¥à¤µ गà¥à¤°à¥ अमर दास ने हिंदू धरà¥à¤® में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई। सती पà¥à¤°à¤¥à¤¾ के खिलाफ लगातार आवाज उठाने के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कनखल का 22 बार à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिंदू धरà¥à¤® में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ छà¥à¤†à¤›à¥‚त और जातिवाद की कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ को दूर करने के लिठगंगा के पावन तट पर à¤à¤• कà¥à¤†à¤‚ खà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¯à¤¾, जिसका नाम रखा साà¤à¥€-बावरी। यानी किसी à¤à¥€ जाति या धरà¥à¤® का वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस कà¥à¤à¤‚ से पीने के लिठपानी à¤à¤° सकता था। गà¥à¤°à¥ अमरदास जब पहली बार तीरà¥à¤¥ नगरी कनखल में गंगा तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सतीघाट पहà¥à¤‚चे तो उनके पैर में à¤à¤• तीरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ ने पदà¥à¤® का चिनà¥à¤¹ देखा और कहा कि वे à¤à¤• महान सिदà¥à¤§ साधक या महान चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ बनेंगे। गà¥à¤°à¥ अमरदास सती घाट कनखल में 21 बार गृहसà¥à¤¥ के रूप में तथा à¤à¤• बार गà¥à¤°à¥ गदà¥à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने के बाद गà¥à¤°à¥ के रूप में आà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 73 साल की उमà¥à¤° में 1552 में गà¥à¤°à¥ गदà¥à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ और वे 1574 तक 22 साल तक गà¥à¤°à¥ गदà¥à¤¦à¥€ पर विराजमान रहे। इस तरह हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के तीरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ सही साबित हà¥à¤ˆ और वे महान सिदà¥à¤§ साधक और गà¥à¤°à¥ बने। 5 मई 1479 को अमृतसर में जनà¥à¤®à¥‡ गà¥à¤°à¥ अमरदास का 95 साल की उमà¥à¤° में पंजाब के गोइंदवाल में 1574 में निधन हà¥à¤†à¥¤ कनखल में सती घाट में गंगा के तट पर गà¥à¤°à¥ अमरदास जी की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बना हà¥à¤† है। उनके इस तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मंजी साहब की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई है। जहां पर बैठकर गà¥à¤°à¥ महाराज ने गंगा की साधना की थी। इस तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मंजी साहब में 22 गà¥à¤‚बद बनाठगठहैं, जिनमें पीतल के कलश चà¥à¤¾à¤ गठहैं। ये कलश और गà¥à¤‚बद गà¥à¤°à¥ अमरदास के गंगा के इस पावन तट पर 22 बार आने की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में बनाठगठहैं। उनके इस तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मंजी साहिब के पास निशान साहिब सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है और शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤°à¤‚थ साहिब जी का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ à¤à¥€ कई सालों से इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हो रहा है। उनके पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ परà¥à¤µ के अवसर पर हर साल इस तप सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शबà¥à¤¦ कीरà¥à¤¤à¤¨ अखंड पाठऔर लंगर का आयोजन वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤¤à¤° पर किया जाता है।