अयूब इस यà¥à¤¦à¥à¤§ से इतने हतोतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हà¥à¤ थे कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल की à¤à¤• बैठक में यहां तक कहा, ‘मैं चाहता हूठकि यह समठलिया जाठकि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ 50 लाख कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठ10 करोड़ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (उस वकà¥à¤¤ बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ सहित पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की आबादी करीब 10 करोड़ थी) की जिंदगी खतरे में नहीं डालेगा...कà¤à¥€ नहीं डालेगा। गहराती हà¥à¤ˆ रात में नियंतà¥à¤°à¤£ रेखा के इस बार खड़े होकर लगता नहीं है कि कà¥à¤¯à¤¾ सच में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज और उसके जनरलों ने अपने फौजी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ जनरल अयूब के इस कथन को सही ढंग से समà¤à¤¾ होगा!
रिपोर्ट - सà¥à¤¶à¥€à¤² उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
à¤à¤¾à¤°à¤¤ और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बीच 1965 की लड़ाई खतà¥à¤® करने के मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ पर जब राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ अयूब ने अपने सैनà¥à¤¯ अपसरों से पूछा तो जनरल मूसा और à¤à¤¯à¤° मारà¥à¤¶à¤² नूर खाà¤, दोनों ने लड़ाई को जारी रखने के खिलाफ सलाह दी। अयूब इस यà¥à¤¦à¥à¤§ से इतने हतोतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ हà¥à¤ थे कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मंतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤‚डल की à¤à¤• बैठक में यहां तक कहा, ‘मैं चाहता हूठकि यह समठलिया जाठकि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ 50 लाख कशà¥à¤®à¥€à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठ10 करोड़ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ (उस वकà¥à¤¤ बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ सहित पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की आबादी करीब 10 करोड़ थी) की जिंदगी खतरे में नहीं डालेगा...कà¤à¥€ नहीं डालेगा। गहराती हà¥à¤ˆ रात में नियंतà¥à¤°à¤£ रेखा के इस बार खड़े होकर लगता नहीं है कि कà¥à¤¯à¤¾ सच में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज और उसके जनरलों ने अपने फौजी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ जनरल अयूब के इस कथन को सही ढंग से समà¤à¤¾ होगा! अंधेरे में बहà¥à¤¤ दूर à¤à¤• लंबी टिमटिमाती हà¥à¤ˆ लाइन दिखती है। जैसे किसी ने à¤à¤• बहà¥à¤¤ लंबी दीवार पर छोटे बलà¥à¤¬à¥‹à¤‚ से रोशनी की हà¥à¤ˆ हो। असल में यह अखनूर सेकà¥à¤Ÿà¤° में à¤à¤¾à¤°à¤¤ और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का अनिरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ बॉरà¥à¤¡à¤° है, जहां रात में इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• फेंसिंग पर बलà¥à¤¬ टिमटिमाते रहते हैं। यहां सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ अपने पूरे आवेग के साथ बोलता हà¥à¤† दिखाई देता है, मानो हरियाली को किसी अंधियारे रंग ने डस लिया हो। इस अटूट खामोशी में à¤à¤• à¤à¤¯ लगातार मौजूद है और वो, यह है कि किसी à¤à¥€ तरफ से चली हà¥à¤ˆ गोली सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¥‡ का सीना चीर देगी और फिर गोलियों का यह सिलसिला कितना लंबा चलेगा, किसी को नहीं पता। कोई इस बात की गारंटी नहीं ले सकता कि कागजों पर हà¥à¤† यà¥à¤¦à¥à¤§ विराम का समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ कौन-सी बंदूक की किस गोली से खतà¥à¤® हो जाà¤à¤—ा। मेरे मितà¥à¤° जो कि फौज में बड़े अफसर (तकनीकी कारणों से नाम का उलà¥à¤²à¥‡à¤– संà¤à¤µ नहीं) हैं, वे इस सीमा के बारे में बहà¥à¤¤ बारीक और तकनीकी चीजें बताते हैं, जिनमें से बहà¥à¤¤-सी बातों को मैं समठही नहीं पाता। हम लोग बंकर के बाहर की तरफ à¤à¤• पेड़ और उसके आसपास लगाठगठकैमोफà¥à¤²à¤¾à¤œ के नीचे बैठे हà¥à¤ हैं। à¤à¤• सवाल अचानक उठता है कि इतने खà¥à¤²à¥‡ में तो कोई à¤à¥€ हम लोगों को टà¥à¤°à¥‡à¤¸ कर सकता है और फिर दूसरी तरफ से बम या गोली का फायर à¤à¥€ आ सकता है ? इसका जवाब मिलता है कि जितनी मदद बंकर करते हैं, उतनी ही मदद पेड़ों और केमोफà¥à¤²à¤¾à¤œ से à¤à¥€ मिलती है इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ खतरा नहीं है। इसे न उपगà¥à¤°à¤¹ पकड़ सकते हैं और न डà¥à¤°à¥‹à¤¨ से कोई मदद मिल सकती है। हालांकि ये सच है कि निरंतर à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स हो रही टेकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¤¾à¥…जी à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में नठखतरे पैदा करेगी। फिलहाल तो इतनी ही राहत है कि इधर 4जी चल रहा है और उधर 3जी के लाले पड़े हà¥à¤ हैं। अफसर मितà¥à¤° की इस आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¤¿ के बावजूद खतरा तो मौजूद है। वह तो दोनों तरफ है और दोनों तरफ से है। अकà¥à¤¸à¤° हम लोगों को बताया जाता है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ फौज के मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज बहà¥à¤¤ दोयम दरà¥à¤œà¥‡ की है, वह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ फौज के सामने कहीं नहीं नहीं टिक सकती, लेकिन मेरे मितà¥à¤° की राय अलग है जो लंबे समय से सीमा पर दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ का सामना करते रहे हैं। उनका निजी विचार यह है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज à¤à¥€ à¤à¤• मजबूत और टकà¥à¤•à¤° देने वाली आरà¥à¤®à¥€ है और वे यह बात इस आधार पर कह रहे हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देश के बाहर संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के शांति अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ सैनिकों, अफसरों को बहà¥à¤¤ निकट से देखने और समà¤à¤¨à¥‡ का अवसर मिला। वैसे, ताकत को किनारे रख दें तो दोनों फौजों में à¤à¤• बड़ा अंतर यह है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज में कà¥à¤°à¥‚रता का सà¥à¤¤à¤° बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। वे उदाहरण देते हैं कि यदि किसी à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स पोसà¥à¤Ÿ पर सजगता और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ में जरा-सी à¤à¥€ कमी हो जाठतो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ किसी फौजी का सिर काटकर ले जाने में à¤à¥€ गà¥à¤°à¥‡à¤œ नहीं करते। (पूरà¥à¤µ में à¤à¤¸à¥€ कई घटनाà¤à¤‚ हो चà¥à¤•à¥€ हैं।) यह अमाननीय पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज का यह बरà¥à¤¬à¤° रवैया बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶ की आजादी के दौरान à¤à¥€ देखा जा चà¥à¤•à¤¾ है। तब दो-तीन साल के à¤à¥€à¤¤à¤° 30 लाख से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बांगà¥à¤²à¤¾à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हतà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ थी और लाखों महिलाओं के साथ बलातà¥à¤•à¤¾à¤° हà¥à¤à¥¤ इससे à¤à¥€ शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• बात यह थी कि उस वकà¥à¤¤ जनरल नियाजी ने à¤à¤• बेहूदा टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ की थी, ‘आखिर पूरà¥à¤µà¥€ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में तैनात फौजी मौज-मसà¥à¤¤à¥€ करने कहां जाà¤à¤‚गे!‘ यह पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज के पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨à¤² कैरेकà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤• बड़ा धबà¥à¤¬à¤¾ जो कà¤à¥€ दूर नहीं हो सकता। बार-बार उस खà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ इलाके की तरफ देखता हूं जो हरा-à¤à¤°à¤¾ है लेकिन लगà¤à¤— बंजर जैसा है। यह विरोधाà¤à¤¾à¤¸ इसलिठहै कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि धरती ने अपनी कोख से बहà¥à¤¤ सारे à¤à¤¾à¥œ-à¤à¤‚काड़ पैदा कर दिठहैं, जबकि यह धरती à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे उपजाऊ à¤à¥‚मि में से à¤à¤• है। जहां अनà¥à¤¨ उपजना चाहिठथा, उस धरती के पेट में न जाने कितने बिना फटे हà¥à¤ बम, गोलियों के खोके और लैंडमाइंस दबी हà¥à¤ˆ हैं। बहà¥à¤¤ दूर 1965 और 1971 की लड़ाई के कई अवशेष मौजूद हैं। नदी पर टूटा हà¥à¤† पà¥à¤² यà¥à¤¦à¥à¤§à¤œà¤¨à¤¿à¤¤ आपदा का सà¥à¤µ-पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ शिकार बना दिखता है। इसी धरती के बीच से दोनों देशों की लाइन ऑफ कंटà¥à¤°à¥‹à¤² का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ हो रहा है। वैसे, लाइन ऑफ कंटà¥à¤°à¥‹à¤² का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ हो à¤à¥€ कैसे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जो जितना ताकतवर है, वह उतनी ही जमीन कबà¥à¤œà¤¾ सकता है। 1965 की लड़ाई में à¤à¤¾à¤°à¤¤ लाहौर की तरफ बॠरहा था और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ अखनूर को कबà¥à¤œà¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश में था। 50 साल बाद à¤à¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ के कई निशान बाकी हैं। अखनूर का इतिहास देखिठतो यह इलाका पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज की हिट लिसà¥à¤Ÿ में रह चà¥à¤•à¤¾ है। नदी के उस पार का à¤à¤• और कसà¥à¤¬à¤¾ है-चंब (छंब), जिस पर अब पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ फौज का नियंतà¥à¤°à¤£ है। 1965 से पहले वह कसà¥à¤¬à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में था। नियंतà¥à¤°à¤£ रेखा पर मà¥à¤¨à¤¾à¤µà¤° (मà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥à¤µà¤°) नदी के साथ-साथ गहरी खंदकें खोद दी गई हैं। खंदकों में पानी à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† है ताकि मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² वकà¥à¤¤ में ये ढाल बन सकें। à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि कोई इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• फेंसिंग, नदी या खंदक दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ सेना को हमेशा के लिठरोक सकती है, लेकिन इतना जरूर कर सकती है कि दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ से निपटने के लिठतैयारी का थोड़ा वकà¥à¤¤ मिल जाता है। अफसर मितà¥à¤° को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से सहज लगाव है, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खंदकों में à¤à¤°à¥‡ पानी में कमल खिला दिठहैं। कà¥à¤› गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ और कà¥à¤› सफेद। खिले हà¥à¤ कमल अपने पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से à¤à¤¸à¥‡ घिरे हैं, जैसे चारों तरफ हरी ढाल मौजूद हो। रात के अंधेरे में वे किसी संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ की तरह लगते हैं, शांत, सà¥à¤¥à¤¿à¤° और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤—à¥à¤¨! इन खंदकों से ठीक पहले जमीन के नीचे सैकड़ों बंकर मौजूद हैं। यहां जिंदगी बेहद कठिन है। कà¥à¤› à¤à¥€ वैसा नहीं है, जैसा कि फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में फौजियों की जिंदगी दिखती है। बहà¥à¤¤ छोटी-सी जगह में कई सारे फौजी मौजूद होते हैं, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ बंकरों में जिंदगी बचाने और जिंदा रहने की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ इंसानी सांसों के साथ-साथ चलती है। हर कोई कामना करता है कि गोलियां ना चलें, लेकिन चलती हैं और चलानी à¤à¥€ पड़ती हैं। अफसर मितà¥à¤° बताते हैं कि पिछले कà¥à¤› सालों में, खासतौर से कारगिल की लड़ाई के बाद, à¤à¤• बड़ा बदलाव आया है। अब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ फौजियों को दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ का मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ करने के लिठगोली चलाने का आदेश कहीं और से नहीं लेना पड़ता। वे खà¥à¤¦ अपने सà¥à¤¤à¤° पर जवाब दे सकते हैं, मोरà¥à¤šà¥‡ पर काम कर रहे अफसरों, फौजियों को छूट दी गई है और इस छूट का असर à¤à¥€ दिखता है। अब दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ को पता है कि गोली चलेगी तो गोली लौटकर आà¤à¤—ी। सब कà¥à¤› à¤à¤•à¤¤à¤°à¤«à¤¾ नहीं होगी। यहां और à¤à¥€ कई चीजें बहà¥à¤¤ रोचक लगती हैं। उस तरफ à¤à¤• बड़ी मीनार दिखाई देती है। यह मीनार पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स पोसà¥à¤Ÿ की तरह काम करती है। उस तरफ कà¥à¤› पहाड़ियां à¤à¥€ दिखती हैं, जबकि इस तरफ चैड़ा मैदान है इसलिठचà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हैं। इन चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पार पाने के लिठअब गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड लेवल पर काफी कà¥à¤› बदल रहा है। सेना को सेना को वो सब मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराने की कोशिश की जा रही है जो किसी अशांत कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की सीमा या नियंतà¥à¤°à¤£ रेखा पर संà¤à¤µ हो सकता है। बंकरों की बहà¥à¤¤ सीमित जगहों में गदà¥à¤¦à¥‡ और सोलर से चलने वाले पंखे दिख रहे हैं। सीमित सà¥à¤¤à¤° पर ही सही, लेकिन कà¥à¤› मामलों में इंटरनेट कनेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है और जब गोलियां न चल रही हों तो खेलने का à¤à¥€ इंतजाम है। लेकिन, कà¥à¤› दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं, जो पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का अनिवारà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¤¾ हैं। पूरा इलाका सांपों के लिठबेहद अनà¥à¤•à¥‚ल है। नमी, उमस और गरà¥à¤®à¥€, बारिश के मौसम में बंकर से लेकर शौचालयों तक हर कहीं सांप दिखते हैं। पैरों से निकालने के बाद जूतों को उलटा करके टांग दिया जाता है, कहीं इनमें सांप न घà¥à¤¸ जाà¤à¥¤ हर बंकर के बाहर सांपों से बचने और दंश की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आपात उपायों का विवरण दरà¥à¤œ किया गया है। दिन निकलने पर यहां बाहरी तौर पर जिंदगी लगà¤à¤— सामानà¥à¤¯ ढंग से चलती हà¥à¤ˆ दिखती है। चरवाहे अफसरों की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ के बाद अपने पशà¥à¤“ं को उस हिसà¥à¤¸à¥‡ में ले गठहैं, जहां गोली लगने का अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ कम खतरा है, लेकिन पशॠनहीं जानते कि कौन-सी धरती अपनी है और कौन-सी दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ की। इसलिठवे इंसानी सीमाओं को अकà¥à¤¸à¤° पार कर जाते हैं। इधर से उधर और वहां से यहां आ जाते हैं। और दोनों के दूध में कोई अंतर à¤à¥€ नहीं है। दिन के साथ ही फौजी गाड़ियां इधर से उधर आती जाती रहती हैं। बंकरà¥à¤œ में मौजूद सेना के दफà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में रूटीन काम शà¥à¤°à¥‚ हो गया है। सेना की मेडिकल टीम à¤à¤• विशेष अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ पर है। उसने पास के गांव में लोगों के लिठहेलà¥à¤¥ कैंप लगाया है। बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में सिविलियन अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की जांच कराने आठहैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखकर मैं à¤à¤• आम आदमी की तरह सोचता हूं, बीते 75 साल में इन लोगों की जिंदगी कà¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ कà¤à¥€ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बीच बंटती रही है। इनकी निषà¥à¤ ा की धाराà¤à¤‚ कितनी जटिल होती होंगी! और आखिर में à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ सवाल खड़ा हो जाता है कि यदि ये सीमाà¤à¤‚ ना हों तो दोनों तरफ की जिंदगी कितनी सहज हो जाà¤, लेकिन इन सीमाओं को समेटना इसलिठनामà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ है कि दो विरोधी आवाजें कà¤à¥€ à¤à¤• नहीं हो पाती। उस तरफ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® होना बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ का पतà¥à¤¥à¤° है और इस तरफ मजहब नहीं सिखाती आपस में बैर रखना, जैसा उपदेशी सà¥à¤µà¤° है तो à¤à¤¸à¥‡ में दोनों का à¤à¤•à¤°à¥‚प होना बिलà¥à¤•à¥à¤² आसान नहीं है। फिर à¤à¥€, मà¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¾à¤° नदी ख़ामोशी के साथ बह रही है, उसे कोई फरà¥à¤• नहीं पड़ता कि यहाठइतिहास पर कà¥à¤¯à¤¾-