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श्राद्ध पूर्णिमा से 16 दिन रहेगा पित्र पक्ष, तीर्थ पर श्राद्ध करने से मिलती है सुख शांति


हरिद्वार सात पुरी में से एक पुरी है जो प्राचीन काल में मायापुरी के नाम से विख्यात थी अब हरिद्वार के नाम से जाना जाता है यह तीर्थ पित्र कार्य के लिए बहुत विख्यात है बताया जाता है कि पूरे विश्व में तीन ही ऐसे स्थान हैं जहां पर पित्र कार्य किया जाता है प्रथम गया दूसरा हरिद्वार नारायणी शिला और तीसरा बद्रीनाथ में ब्रह्म कपाल इन स्थानों पर पितरों की पूजा एवं पिंडदान करने से मुक्ति हो जाती है यहां नारायणी शिला एवं कुशाव्रत घाट पर पर पितृपक्ष के दौरान देश विदेश से लोग आकर अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंड दान, तर्पण एवं यज्ञ करते हैं

रिपोर्ट  - à¤°à¤¾à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गौड़

श्राध्य पूर्णिमा से 16 दिन रहेगा पित्र पक्ष हरिद्वार गंगा स्नान करने के उपरांत श्रद्धालुओं ने गंगा किनारे अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया हरिद्वार सात पुरी में से एक पुरी है जो प्राचीन काल में मायापुरी के नाम से विख्यात थी अब हरिद्वार के नाम से जाना जाता है यह तीर्थ पित्र कार्य के लिए बहुत विख्यात है बताया जाता है कि पूरे विश्व में तीन ही ऐसे स्थान हैं जहां पर पित्र कार्य किया जाता है प्रथम गया दूसरा हरिद्वार नारायणी शिला और तीसरा बद्रीनाथ में ब्रह्म कपाल इन स्थानों पर पितरों की पूजा एवं पिंडदान करने से मुक्ति हो जाती है यहां नारायणी शिला एवं कुशाव्रत घाट पर पर पितृपक्ष के दौरान देश विदेश से लोग आकर अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंड दान, तर्पण एवं यज्ञ करते हैं सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत अधिक महत्व है। पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंडदान करने की परंपरा निभाई जाती है। हिंदू धर्म में पितरों के लिए 16 दिन विशेष होते हैं।

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