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भारत की चेतना को जीवंत बनाये रखने में भागवत का महत्वपूर्ण योगदान - स्वामी चिदानन्द सरस्वती


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज राष्ट्रऋषि सरसंघचालक मोहन भागवत को जन्मदिवस की कोटि कोटि शुभकामनायें देते हुये परमार्थ निकेेतन में विशाल भंडारा और हवन का आयोजन किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज राष्ट्रऋषि सरसंघचालक मोहन भागवत को जन्मदिवस की कोटि कोटि शुभकामनायें देते हुये परमार्थ निकेेतन में विशाल भंडारा और हवन का आयोजन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारतीय संस्कृति और “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” के सूत्र को जीवंत व जाग्रत रखने वाले राष्ट्र वैज्ञानिक श्री मोहन भागवत जी के दिव्यायु और दीर्घायु की माँ गंगा से प्रार्थना करते हुये कहा कि हमारे देश का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में श्रद्धेय गुरूजी से लेकर आधुनिक वैज्ञानिक, ऋषि माननीय मोहन भागवत जी तक और स्वयं सेवक संघ परिवार के सभी सदस्य में सेवा, सयंम और समर्पण का अद्भुत संगम है। ये सब संघ के संस्कार है गुरु जी का मंत्र इदम् राष्ट्राय और संघ जैसी दिव्य संस्था सभी के लिये उनकी देन है। स्वामी जी ने कहा कि देश में चाहे कोरोना हो या सुनामी या कोई भी आपदा हर समय संघ का हर स्वंयसेवक, समर्पण भाव से सेवा हेतु तत्पर रहता है कोरोना के समय में भी अपनी और अपने परिवार की चिंता न करते हुये अपने देशवासियों की सेवा में सर्वस्व समर्पण करना, सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है। भागवत जी ने पूरे समाज को विश्वास के सीमेन्ट से जोड़े रखा। एक अखंड भारत के निर्माण में मोहन भागवत जी का अमूल्य योगदान है।

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