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हिन्दी से जुड़े और जोड़े-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को हिन्दी से जुड़ने का संदेश देते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’हिन्दी, भाषा ही नहीं हम भारतीयों के दिलों की घड़कन भी है।’’ हिन्दी, दिल की भाषा है और वह दिलों को जोड़ती है इसलिये हमें भी हिन्दी के साथ दिल से जुड़ना होगा और हर परिवार में हिन्दी को स्थान देना होगा। ज्यादा से ज्यादा हिन्दी बोले तथा भावी पीढ़ी को भी हिन्दी से जोड़े। हम अपनी-अपनी मातृभाषा जरूर बोले परन्तु हिन्दी सब को आनी चाहिये इसके लिये भी प्रयास करना होगा।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

ऋषिकेश, 13 सितम्बर। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को हिन्दी से जुड़ने का संदेश देते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि ’’हिन्दी, भाषा ही नहीं हम भारतीयों के दिलों की घड़कन भी है।’’ हिन्दी, दिल की भाषा है और वह दिलों को जोड़ती है इसलिये हमें भी हिन्दी के साथ दिल से जुड़ना होगा और हर परिवार में हिन्दी को स्थान देना होगा। ज्यादा से ज्यादा हिन्दी बोले तथा भावी पीढ़ी को भी हिन्दी से जोड़े। हम अपनी-अपनी मातृभाषा जरूर बोले परन्तु हिन्दी सब को आनी चाहिये इसके लिये भी प्रयास करना होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की महान, विशाल, गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और विरासत को सहेजने में हिन्दी का महत्वपूर्ण योगदान है। हिन्दी भारतीय संस्कारों और संस्कृति से युक्त भाषा है। हिन्दी से जुड़ना अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ना; अपने मूल्यों से जुड़ना और अपनी संस्कृति से जुड़ने से है। भारत में हिन्दी और संस्कृत का इतिहास बहुत पुराना है। हिन्दी, न केवल एक भाषा है बल्कि वह तो भारत की आत्मा है। भारत जैसे विशाल और विविधताओं से युक्त राष्ट्र में हिन्दी न केवल संवाद स्थापित करने का एक माध्यम है बल्कि हिन्दी ने सदियों से हमारी सभ्यता, संस्कृति और साहित्य को सहेज कर रखा है। भारत, बहुभाषी देश है यहां पर हर सौ से दो सौ किलोमीटर पर अलग-अलग भाषाएँ और बोलियाँ बोली जाती हैं और प्रत्येक भाषा का अपना एक महत्व है परन्तु हिन्दी के विकास और प्रसार की अपार संभावनाएँ हैं बस जरूरत है तो हिन्दी भाषा को दिल से स्वीकार करने की।

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