à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को सबसे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾à¥¤ à¤à¤—वान को जब à¤à¥‹à¤— लगाते हैं या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जल अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं तो उसमें तà¥à¤²à¤¸à¥€ का à¤à¤• पतà¥à¤¤à¤¾ रखना जरूरी होता है। तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾ खाते रहने से किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का रोग और शोक नहीं होता। दूषित पानी में तà¥à¤²à¤¸à¥€ की कà¥à¤› ताजी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ डालने से पानी का शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ किया जा सकता है। तांबे के लोटे में à¤à¤• तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾ डालकर ही रखना चाहिà¤à¥¤ तांबा और तà¥à¤²à¤¸à¥€ दोनों ही पानी को शà¥à¤¦à¥à¤§ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखते हैं।
रिपोर्ट - वैध दीपक कà¥à¤®à¤¾à¤°
कà¥à¤› पतà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤¸à¥‡ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤ और पवितà¥à¤° मानकर उनका पूजा में उपयोग किया जाता है। à¤à¤¸à¥‡ ही कà¥à¤› पतà¥à¤¤à¥‡ की जानकारी यहां पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है। *1. तà¥à¤²à¤¸à¥€ पतà¥à¤¤à¤¾ :* à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ को सबसे पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾à¥¤ à¤à¤—वान को जब à¤à¥‹à¤— लगाते हैं या उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जल अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं तो उसमें तà¥à¤²à¤¸à¥€ का à¤à¤• पतà¥à¤¤à¤¾ रखना जरूरी होता है। तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾ खाते रहने से किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का रोग और शोक नहीं होता। दूषित पानी में तà¥à¤²à¤¸à¥€ की कà¥à¤› ताजी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ डालने से पानी का शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤•à¤°à¤£ किया जा सकता है। तांबे के लोटे में à¤à¤• तà¥à¤²à¤¸à¥€ का पतà¥à¤¤à¤¾ डालकर ही रखना चाहिà¤à¥¤ तांबा और तà¥à¤²à¤¸à¥€ दोनों ही पानी को शà¥à¤¦à¥à¤§ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखते हैं। *2. बिलà¥à¤µà¤ªà¤¤à¥à¤° :* हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में बिलà¥à¤µ अथवा बेल (बिलà¥à¤²à¤¾) पतà¥à¤° à¤à¤—वान शिव की आराधना का मà¥à¤–à¥à¤¯ अंग है। कहते हैं शिव को बिलà¥à¤µà¤ªà¤¤à¥à¤° चढ़ाने से लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥€, अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€, नवमी, चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¥€, अमावसà¥à¤¯à¤¾ और किसी माह की संकà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¿ को बिलà¥à¤µà¤ªà¤¤à¥à¤° नहीं तोडऩा चाहिà¤à¥¤ बिलà¥à¤µà¤ªà¤¤à¥à¤° का सेवन, तà¥à¤°à¤¿à¤¦à¥‹à¤· यानी वात (वायà¥), पितà¥à¤¤ (ताप), कफ (शीत) व पाचन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के दोषों से पैदा बीमारियों से रकà¥à¤·à¤¾ करता है। यह तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोग और डायबिटीज के बà¥à¤°à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ बढ़ने से à¤à¥€ रोकता है व तन के साथ मन को à¤à¥€ चà¥à¤¸à¥à¤¤-दà¥à¤°à¥à¤¸à¥à¤¤ रखता है। *3. पान का पतà¥à¤¤à¤¾ :* पान को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में तांबूल कहते हैं। इसका उपयोग पूजा में किया जाता है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में तो पान के पतà¥à¤¤à¥‡ के बीच पान का बीज à¤à¤µà¤‚ साथ ही à¤à¤• रà¥à¤ªà¤ का सिकà¥à¤•à¤¾ रखकर à¤à¤—वान को चà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है, जबकि उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पूजा की सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥€ के साथ à¤à¤• रà¥à¤ªà¤ का सिकà¥à¤•à¤¾ चढ़ाया जाता है। कलश सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ में आम और पान के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का उपयोग होता है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤•à¤¾à¤² में पान का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² रकà¥à¤¤à¤¸à¥à¤°à¤¾à¤µ को रोकने के लिठकिया जाता था। इसे खाने से à¤à¥€à¤¤à¤° कहीं बह रहा खून à¤à¥€ रà¥à¤• जाता है। दूध के साथ पान का रस लिया जाà¤, तो पेशाब की रà¥à¤•à¤¾à¤µà¤Ÿ दूर हो जाती है। *4. केला के पतà¥à¤¤à¥‡ :* केला का पतà¥à¤¤à¤¾ हर धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯ में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता रहा है। केले का पेड़ काफी पवितà¥à¤° माना जाता है। à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ को केले का à¤à¥‹à¤— लगाया जाता है। केले के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बांटा जाता है। माना जाता है कि समृदà¥à¤§à¤¿ के लिठकेले के पेड़ की पूजा अचà¥à¤›à¥€ होती है। केला रोचक, मधà¥à¤°, शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€, वीरà¥à¤¯ व मांस बढ़ाने वाला, नेतà¥à¤°à¤¦à¥‹à¤· में हितकारी है। *5. आम के पतà¥à¤¤à¥‡ :* अकà¥à¤¸à¤° मांगलिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² मंडप, कलश आदि सजाने के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में किया जाता है। इसके पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से दà¥à¤µà¤¾à¤°, दीवार, यजà¥à¤ž आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सजाया जाता है। तोरण, बांस के खंà¤à¥‡ आदि में à¤à¥€ आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लगाने की परंपरा है। घर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर आम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ लटकाने से घर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने वाले हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के साथ ही सकारातà¥à¤®à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ घर में आती है। आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामगà¥à¤°à¥€ आदि के हवन में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से वातावरण में सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ बढ़ती है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आम के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में डायबिटीज को दूर करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में à¤à¥€ आम का पतà¥à¤¤à¤¾ गà¥à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ होता है। *6. सोम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ :* सोम की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में सà¤à¥€ देवी और देवताओं की अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की जाती थी। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में यह दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है इसलिठइसका पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ नहीं रहा। सोम की लताओं से निकले रस को सोमरस कहा जाता है। उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है कि यह न तो à¤à¤¾à¤‚ग है और न ही किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की नशे की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚। सोम लताà¤à¤‚ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खलाओं में पाई जाती हैं। *7. शमी के पतà¥à¤¤à¥‡ :* दशहरे पर खास तौर से सोना-चांदी के रूप में बांटी जाने वाली शमी की पतà¥à¤¤â€à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सफेद कीकर, खेजडो, समडी, शाई, बाबली, बली, चेतà¥à¤¤ आदि à¤à¥€ कहा जाता है, हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की परंपरा में शामिल है। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में à¤à¥€ शमी के वृकà¥à¤· का काफी महतà¥à¤µ बताया गया है। मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° के दिन गणेश जी को शमी के पतà¥à¤¤à¥‡ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने से तीकà¥à¤·à¥à¤£ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ होती है। इसके साथ ही कलह का नाश होता *8. पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ :* पीपल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ हिंदू धरà¥à¤® में खास महतà¥à¤µ है। जय शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® लिखकर पीपल के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की माला हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ को पहनाने से वे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाते हैं। पीपल के पतà¥à¤¤à¥‡ के और à¤à¥€ कई उपयोग हैं। *9. बड़ के पतà¥à¤¤à¥‡ :* मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आटे का दीपक बनाकर बड़ के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर रखकर उसे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ मंदिर में रखा जाता है जिससे करà¥à¤œ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ मिलती है। बड़ के पतà¥à¤¤à¥‡ का à¤à¥€ पूजा में और à¤à¥€ कई उपयोग है।