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मुख्यमंत्री के 48 वें जन्मदिवस पर हिमालयी क्षेत्रों में किया जायेगा 480 पौधों का रोपण


उत्तराखंड के यशस्वी और कर्मठ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जन्मदिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर क्षेत्र अपनी विशिष्टता, विविधता और अद्भुत संस्कृति के लिये प्रसिद्ध है। भारत का रेगिस्तान, सदानीरा नदियों, हरे-भरे वन, द्वीप, पर्वत, पठार व झरने आदि अनेक प्राकृतिक विशिष्टायें एवं विशेषतायें न केवल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं बल्कि यह मन को शान्ति देने वाली भी है।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 16 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनाया माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी का जन्मदिवस। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने विधिवत गंगा पूजन एवं दुग्धाभिषेक कर पुष्कर सिंह धामी जी के दीर्घायु और दिव्यायु की प्रार्थना की। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने देवभूमि की गौरवमयी विरासत को जीवंत और जाग्रत रखते हुये हिमालय और गंगा की संस्कृति को साथ लेकर चलने वाले हिमालय पुत्र उत्तराखंड के यशस्वी और कर्मठ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जन्मदिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि भारत में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर क्षेत्र अपनी विशिष्टता, विविधता और अद्भुत संस्कृति के लिये प्रसिद्ध है। भारत का रेगिस्तान, सदानीरा नदियों, हरे-भरे वन, द्वीप, पर्वत, पठार व झरने आदि अनेक प्राकृतिक विशिष्टायें एवं विशेषतायें न केवल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं बल्कि यह मन को शान्ति देने वाली भी है। हमारे पास अनेक मनमोहक सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता से युक्त ऐतिहासिक विरासतें हैं परन्तु हिमालय और गंगा अपने आप में दिव्यता और भव्यता का प्रतीक है और इसे सहेज कर रखने तथा इसके संवर्द्धन के लिये उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिकता के साथ आयुर्वेद, ध्यान और योग के रूप में विस्तार ले रहा है। हमारे उत्तराखंड के पास अनेक संभावनायें और अवसर है हमें मिलकर उस ओर बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी व किसी भी राष्ट्र की नदी और पर्वत श्रृंखला ने जनमानस को अपनी ओर इतना आकर्षित और प्रभावित नहीं किया है जितना माँ गंगा और हिमालय ने किया है। गंगा और हिमालय ने भारत को एक उत्कृष्ट पहचान प्रदान की और हमें आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया है। स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड के पास अपनी सांस्कृतिक समृद्धि, ऐतिहासिक धरोहर, विविधता में एकता की संस्कृति, दिव्य आध्यात्मिक परंपरायें और विशिष्टतायें है जो पर्यावरणीय शुचिता बनाये रखने हेतु महत्वपूर्ण योगदान देती है इसके लिये सभी की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।

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