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विश्व मैत्री आमंत्रण एवं क्षमा दिवस समारोह


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दिल्ली में आयोजित क्षमा दिवस समारोह में मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में सहभाग किया। इस अवसर पर महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम जाजू एवं सांसद मनोज तिवारी ने सहभाग कर सभी को सम्बोधित किया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश, 18 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दिल्ली में आयोजित क्षमा दिवस समारोह में मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में सहभाग किया। इस अवसर पर महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, बीजेपी के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम जाजू एवं सांसद मनोज तिवारी ने सहभाग कर सभी को सम्बोधित किया। इस पावन अवसर पर आचार्य 108 प्रज्ञसागर जी महाराज, आचार्य 108 श्रुतसागर जी महाराज, आचार्य 108 आचार्य विमल सागर महाराज का विशेष आशीर्वाद प्राप्त हुआ। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि लाल किले पर आयोजित यह ऐतिहासिक, दिव्य और भव्य कार्यक्रम है, यह एक ऐसा आगाज़ है जिसकी गंूज दूर-दूर तक जायेगी। यह दिव्य मंच केवल एक मंच नहीं है बल्कि यह अपने आप में शान्ति, समता और त्याग का मंत्र है। आज भगवान महावीर जी के 2550 वें महानिर्वाण महोत्सव का आगाज़ है। यह आत्मनिरिक्षण का पर्व है। इस अवसर पर स्वामी जी ने अमेरिका में निर्मित हिन्दू जैन मन्दिर की स्थापना का वर्णन करते हुये कहा कि न दिगम्बर न श्वेताम्बर हम जैन है आज इसी मंत्र की आवश्यकता है। स्वामी जी ने कहा कि आज पूरे विश्व को अहिंसा के अस्त्र की आवश्यकता है। अहिंसा का अस्त्र एक ऐसा अस्त्र है जो वैश्विक शान्ति का वाहक है तथा समता, सद्भाव और सहनशीलता के भाव जाग्रत करता है, बाकी सारे अस्त्र और शस्त्र हिंसक है, मारक है, उन्माद फैलाते हैं। स्वामी ने माननीय मोदी के जन्मदिवस का जिक्र करते हुये कहा कि एक ओर हम ऐसे व्यक्तित्व का जन्मदिवस मना रहे हैं जो वास्तव में निर्माण महोत्सव है, जो नये भारत का निर्माण करेगा। एक तरफ निर्माण की यात्रा है तो दूसरी ओर निर्वाण की यात्रा है। आज भारत को महाभारत की नहीं बल्कि महान भारत की आवश्यकता है। निर्वाण महोत्सव केवल जैनों का नहीं हम सब का महोत्सव है। अब समय आ गया है कि निर्वाण महोत्सव और निर्माण महोत्सव साथ साथ चले, तो विश्व में एक नयी ज्योति जलेगी। अब हमें जियो और जीने दो नहीं बल्कि जियो और जीवन दो के इस मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा। स्वामी जी ने सभी को संकल्प कराया कि अब हमें कुछ कदम नहीं हर कदम साथ-साथ चलना होगा। महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी जी ने कहा कि पूज्य संतों के साथ बैठना और मिलना मेरा सौभाग्य है। अहिंसा कमजोर का श्रंृगार नहीं है बल्कि अहिंसा निडर, संवेदनशील, विवेकशील लोगों का श्रंृगार हैं। उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा, पोषण और संरक्षण की बात करते हुये कहा कि महिलाओं को बेटी के जन्म पर कभी दंडित न किया जायें। शिक्षा ही वह स्तंभ है जो भारत के नवनिर्माण में अपना अभूतपूर्व योगदान दे सकती है। पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी श्याम जाजू जी ने पूज्य संतों, तपस्वियों और चिंतकों का सम्मान करते हुये कहा कि समाज और सरकार सदैव ही पूज्य संतों के साथ हैं।

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