परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि महाराज ने जीवनपरà¥à¤¯à¤‚त à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता, सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ अदà¥à¤à¥à¤¤ कारà¥à¤¯ किये। वे मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥‚ष, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, सातà¥à¤µà¤¿à¤•, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सजग पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ थे। उनका जीवन, हृदय, वाणी और करà¥à¤® देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ था। वे à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ महा दीप थे जो आगे आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हमेशा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ और आलोकित करते रहंेगे।
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨, 19 सितमà¥à¤¬à¤°à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने आज अननà¥à¤¤ विà¤à¥‚षित बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥€à¤¨, निवृतमान शंकराचारà¥à¤¯ पदà¥à¤® à¤à¥‚षण, पूजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ गिरि महाराज के अवतरण महोतà¥à¤¸à¤µ समारोह में सहà¤à¤¾à¤— किया। इस अवसर पर बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥€à¤¨ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ गिरि महाराज की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ का अनावरण किया तथा सेवा-सदन ‘समनà¥à¤µà¤¯ निलयमà¥â€™ का लोकारà¥à¤ªà¤£ à¤à¥€ माननीय मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ शिवराज सिंह चैहान जी और पूजà¥à¤¯ संतों की पावन उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हà¥à¤†à¥¤ परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने कहा कि महाराज ने जीवनपरà¥à¤¯à¤‚त à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता, सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और वैदिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ अदà¥à¤à¥à¤¤ कारà¥à¤¯ किये। वे मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥‚ष, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, सातà¥à¤µà¤¿à¤•, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सजग पà¥à¤°à¤¹à¤°à¥€ थे। उनका जीवन, हृदय, वाणी और करà¥à¤® देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ था। वे à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ महा दीप थे जो आगे आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हमेशा पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ और आलोकित करते रहंेगे। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता मनà¥à¤¦à¤¿à¤° उनकी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं का जीता जागता पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के गौरव ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚े, सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानियों, शूर वीरों, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ धरती माता को संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर आने वाली पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को यह संदेश दिया कि अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ और जड़ांे से जà¥à¥œà¤•à¤° रहना ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। वेदों का उदà¥à¤˜à¥‹à¤· ’’माता à¤à¥‚मिः पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤½à¤¹à¤‚ पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤ƒâ€™â€™ को चरितारà¥à¤¥ करते हà¥à¤¯à¥‡ उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤ उपपीठके जगतगà¥à¤°à¥‚ शंकराचारà¥à¤¯ के पद को सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की सेवा के लिये अपने आप को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया। उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता मनà¥à¤¦à¤¿à¤° यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का उदà¥à¤˜à¥‹à¤· ’नमो मातà¥à¤°à¥‡ पृथिवà¥à¤¯à¥‡, नमो मातà¥à¤°à¥‡ पृथिवà¥à¤¯à¥‡à¤ƒâ€™ का जीवंत उदाहरण है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की पताका को विशà¥à¤µ के अनेक देशों म फहराया है। पूजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी अपने उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से सदैव ही वसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤®à¥, विशà¥à¤µ बनà¥à¤§à¥à¤¤à¥à¤µ, शानà¥à¤¤à¤¿ और à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का संदेश पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का पूरा जीवन चनà¥à¤¦à¤¨ की तरह सà¥à¤—ंधित रहा, उनके जीवन की सà¥à¤—ंनà¥à¤§ से देश और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के लाखों लोगों को मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† और उनके उपदेशों से लाखों लोगों के जीवन को सकारातà¥à¤®à¤• दिशा पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की। वे हिमालय सी ऊचाà¤à¤ˆ, सागर सी गहराई और गंगा सी पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ लिये हà¥à¤¯à¥‡ पूरे विशà¥à¤µ में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤¯à¥‡ सनातन और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का संदेश पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करते रहे।