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दिव्वेश कुमार महाराज के श्रीमुख से भागवत कथा अमृतमहोत्सव का भक्तों ने किया रसपान


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बीसा नीमा महाजन समाज केन्द्रीय समिति एवं बीसा नीमा भागवत ज्ञानयज्ञ समिति द्वारा परमार्थ गंगा तट पर आयोजित भागवत कथा के समापन अवसर पर सहभाग कर श्रद्धालुओं को पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संदेश दिया।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। 20 सितम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बीसा नीमा महाजन समाज केन्द्रीय समिति एवं बीसा नीमा भागवत ज्ञानयज्ञ समिति द्वारा परमार्थ गंगा तट पर आयोजित भागवत कथा के समापन अवसर पर सहभाग कर श्रद्धालुओं को पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संदेश दिया। भागवत कथा अमृतमहोत्सव में मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं ने सहभाग कर परमार्थ निकेतन की आध्यात्मिक गतिविधियों यथा सत्संग, हवन, योग, ध्यान एवं गंगा आरती का आनन्द लिया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भागवत कथा के श्रवण से परोपकार, सद्गुण एवं मानवीय मूल्यों के साथ जीवन जीने की भावनायें जाग्रत होती हंै। सत्संग से आत्मिक शान्ति और विश्व शान्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता हैैै। वर्तमान समय में पूरे विश्व को शान्ति की जरूरत है और शान्ति की स्थापना से तात्पर्य केवल आंतरिक एवं बाह्य संघर्षों से सुरक्षा; हमारी सीमायें सुरक्षित हो यही तक सीमित नहीं हैं बल्कि सामाजिक सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, प्रत्येक व्यक्ति को मौलिक सुविधायें प्राप्त हो तथा सभी को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार मिले यह भी शामिल हैं। शांति की संस्कृति केवल संवाद से स्थापित नहीं हो सकती उसके लिये सतत, समावेशी और टिकाऊ विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट), वैश्विक एकजुटता, मानवीय गरिमा और मानवाधिकारों का कठोरता से पालन करते हुये सभी को मिलकर सकारात्मक दिशा में प्रयास करना होगा तभी शांति की संस्कृति स्थापित की जा सकती है। शांति बनाए रखने के लिए सभी को प्रत्येक क्षण और अपनी हर श्वास के साथ प्रयास करना होगा जिससे एक बेहतर ग्रह और बेहतर भविष्य निर्माण की दिशा में बढ़ा जा सकता है, हमारे ग्रंथ हमें यही संदेश देते हैं। स्वामी जी ने कहा कि भागवत कथा हमें सभी मतभेदों और परिस्थितियों से ऊपर उठकर ही मानवता और शान्ति के लिये कार्य करने का संदेश देती है। एक बात हमेशा याद रखे कि परिस्थितियां बदले या न बदले परन्तु मनःस्थिति बदलेगी तो शान्ति की संस्कृति निश्चित रूप से स्थापित होगी यही संदेश भागवत कथा के माध्यम से प्राप्त होता है। कथा व्यास जी ने कहा कि भागवत कथा मनुष्य को मोक्ष प्रदान करने वाली है। परमार्थ निकेतन गंगा तट वास्तव में धरती पर साक्षात स्वर्ग है, यहां पर आकर कथा श्रवण मात्र से मनुष्य भावसागर से पार हो सकता है। बिना हरि कृपा के सत्संग संभव नहीं है परन्तु परमार्थ निकेतन में तो हर क्षण भगवत कृपा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के सत्कर्मो का फल है कि हमें गंगा तट पर आकर भागवत कथा महापुराण का श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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