परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के अवसर पर कहा कि यह दिन हमें बधिर और सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उपयोग करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पहचान को समरà¥à¤¥à¤¨ देने का अवसर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में 70 मिलियन से अधिक बधिर लोग हैं और वे सामूहिक रूप से 300 से अधिक सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का उपयोग करते हैं|
रिपोर्ट - allnewsbharat.com
ऋषिकेश। परमारà¥à¤¥ निकेतन के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ दिवस के अवसर पर कहा कि यह दिन हमें बधिर और सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उपयोग करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ और सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पहचान को समरà¥à¤¥à¤¨ देने का अवसर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में 70 मिलियन से अधिक बधिर लोग हैं और वे सामूहिक रूप से 300 से अधिक सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का उपयोग करते हैं| इसलिये इस हेतॠगà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤£ शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया जाना जरूरी है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चिदाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी धरती माता की सांकेतिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ को à¤à¥€ समà¤à¥‡ और तीवà¥à¤° गति से हो रहे जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¤¤à¤¿ पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दंे। हमें पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के संरकà¥à¤·à¤£ हेतॠविवेकपूरà¥à¤£ योजनाओं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करना होगा तथा पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संचालित समाधानों को अपनाना होगा। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की रकà¥à¤·à¤¾, संरकà¥à¤·à¤£ और जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करने के अलावा पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿-अनà¥à¤•à¥‚ल à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करने की दिशा में आगे बà¥à¤¨à¤¾ होगा। गांधी जी ने कहा था -“मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अतिरिकà¥à¤¤ किसी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने कà¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ विफल नहीं किया। वह मà¥à¤à¥‡ चकित करती है, à¤à¤°à¤®à¤¾à¤¤à¥€ है, आनंद की ओर ले जाती है।†परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण और जलवायॠपरिवरà¥à¤¤à¤¨ की समसà¥à¤¯à¤¾ आज जिस रूप में हमारे सामने है, उसे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प जीवन यापन कर सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¯à¤¾ जा सकता है। बà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ की जाने वाली हिंसा का ही à¤à¤• रूप है इसलिये हमें पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— पर विचार करना होगा तà¤à¥€ हम परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ को बचा सकते हैं।