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एम्स ऋषिकेश में पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने छात्रों से देश की संस्कृति बचाने व संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया।


कश्मीर से साईकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर मेडिकल के छात्रों से देश की संस्कृति बचाने व संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए देश के युवाओं को आगे आना ही होगा। इसके लिए सादा जीवन अपनाते हुए हमें अपने स्वास्थ्य पर विशेष फोकस करने की आवश्यकता है।

रिपोर्ट  - à¤…ंजना भट्ट घिल्डियाल

कश्मीर से साईकिल यात्रा पर निकले पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने एम्स ऋषिकेश पहुंचकर मेडिकल के छात्रों से देश की संस्कृति बचाने व संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए देश के युवाओं को आगे आना ही होगा। इसके लिए सादा जीवन अपनाते हुए हमें अपने स्वास्थ्य पर विशेष फोकस करने की आवश्यकता है। स्पिक मैके संस्था के संस्थापक और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. किरण सेठ इन दिनों साईकिल यात्रा पर हैं। विरासत और संस्कृति के बारे में जन जागरुकता फैलाने के लिए वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा कर रहे हैं। महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित होकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकले स्पिक मैके के फाउंडर एवं पद्मश्री 73 वर्षीय डॉ. किरण सेठ बीते शुक्रवार को एम्स ऋषिकेश पहुंचे। एम्स पहुंचने पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की अगुवाई में कई फेकल्टी सदस्यों, चिकित्सकों ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखने और स्वास्थ्य जैसे अहम विषय पर आम लोगों को जागरुक करने के लिए देशभर की साईकिल यात्रा पर निकले डॉ. सेठ का यह कदम बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण के साथ ही मानसिक विकास और एकाग्रता बढ़ाने के लिए साइकिलिंग के माध्यम से डॉ. सेठ द्वारा देशभर में दिया जा रहा यह संदेश निश्चिततौर से युवाओं को भी इन उद्देश्यों के लिए प्रेरित करेगा और वह गंभीरता से इन अहम मुद्दों को आगे बढ़ाएंगे। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ. किरण सेठ ने मेडिकल के छात्रों से मुलाकात कर उनसे देश की विरासत व संस्कृति को बचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि साईकिल यात्रा का उद्देश्य भारत की समग्र सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के ’सादा जीवन व उच्च विचार’ के संदेश को पूरे देश में फैलाना है। उन्होंने जोर दिया कि इस प्रकार के आयोजन समाज में विभिन्न स्तर पर आयोजित होने चाहिए, जिससे सभी को अच्छी प्रेरणा मिल सके। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश इस बारे में बड़ी भूमिका निभा सकता है। डॉ. सेठ ने कहा कि जिंदगी जीने के लिए भौतिक सुख-सुविधाएं जरूरी नहीं हैं। सादा जीवन व उच्च विचार में ही जिंदगी के असल मायने छिपे हैं। उनका मानना है कि जिन्दगी का वास्तविक आनंद सादगी में ही है। महात्मा गांधी ने भी सादा जीवन, उच्च विचार का मूलमंत्र दिया था। उन्होंने कहा कि गांधी जी के सोच से प्रेरित होकर ही उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत राजघाट से की है।

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