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सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को शांतिकुंज में कई हजार ने किया श्राद्ध कर्म संस्कार


सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन अलग अलग स्थानों पर सामूहिक श्राद्ध तर्पण संस्कार सम्पन्न हुआ। इस दौरान कुल अठ्ठारह पारियों में कई हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों, पूर्वजों को याद करते हुए श्रद्धा भाव से श्राद्ध कर्म संस्कार किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के साथ ही विभिन्न आपदाओं एवं दुर्घटनाओं में हताहत हुए मृतात्माओं की आत्मिक शांति एवं सद्गति के लिए श्रद्धांजलि दी।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार, २५ सितम्बर। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में तीन अलग अलग स्थानों पर सामूहिक श्राद्ध तर्पण संस्कार सम्पन्न हुआ। इस दौरान कुल अठ्ठारह पारियों में कई हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों, पूर्वजों को याद करते हुए श्रद्धा भाव से श्राद्ध कर्म संस्कार किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों के साथ ही विभिन्न आपदाओं एवं दुर्घटनाओं में हताहत हुए मृतात्माओं की आत्मिक शांति एवं सद्गति के लिए श्रद्धांजलि दी। अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों की याद में श्रद्धा भाव से किया गया श्राद्ध कर्म निश्चित रूप से फलदायी होता है और श्राद्धकर्म के पश्चात पौधे रोपने से यह फल कई गुना बढ़ जाता है। हिन्दु संस्कृति के अनुसार आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों के लिए समर्पित होता है। क्भ् दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पौधारोपण, पंचबलि यज्ञ, सद्ज्ञान का प्रचार-प्रसार आदि कई ऐसे कार्य हैं, जिससे इहलोक-परलोक सुधरता है और समाज को प्रेरणा मिलती है। इस दौरान आचार्यों ने पितरों पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए कम से कम एक फलदार या छायादार वृक्ष लगाने का संकल्प लेने के लिए श्रद्धालुओं को प्रेरित किया। साथ ही पतित पावनी गंगा सहित समस्त जलस्रोतों को निर्मल बनाये रखने में स्वयं के साथ अपने निकटस्थ पाँच परिवार को तैयार करने के लिए प्रेरित किया। उल्लेखनीय है कि शांतिकुंज संस्कार में उपयोग होने वाली समस्त पूजन सामग्री श्रद्धालुओं को निःशुल्क उपलब्ध कराता है।

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