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जीवन जीने की कला सिखाती है रामायण - चिन्मयानंद बापू


श्री राम कथा के प्रथम दिन बापूजी ने कहा कि हमारे जीवन में रामचरितमानस का उतरना आज के समय में अति आवश्यक रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है भगवान राम के आदर्श जी हमें बताते हैं कि एक भाई पुत्र पति कैसा होना चाहिए कैसा उसको अपने परिवार में आचार और व्यवहार करना चाहिए यह सभी शिक्षा हमें रामचरितमानस से ही मिलती है

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

चिन्मय धाम गौशाला श्यामपुर में प्रारंभ हुई श्री राम कथा के प्रथम दिन बापूजी ने कहा कि हमारे जीवन में रामचरितमानस का उतरना आज के समय में अति आवश्यक रामचरितमानस हमें जीवन जीने की कला सिखाती है भगवान राम के आदर्श जी हमें बताते हैं कि एक भाई पुत्र पति कैसा होना चाहिए कैसा उसको अपने परिवार में आचार और व्यवहार करना चाहिए यह सभी शिक्षा हमें रामचरितमानस से ही मिलती है रामचरितमानस के शुभारंभ में वंदना प्रकरण को लेते हुए परम पूज्य बापूजी ने भगवान गणेश और माता सरस्वती की वंदना करते हुए मानस की सुंदर चौपाइयों का गान करते हुए तथा को प्रारंभ किया परम पूज्य बापूजी ने कहा कि यह कथा ग्रामीण क्षेत्र में इसलिए रखी गई कि जो छोटे-छोटे गांव के वासी कथाओं से वंचित हो जाते हैं कथाओं से दूर हो जाते हैं और पथभ्रष्ट होकर कुमार घर जाते हैं ऐसे लोगों के बीच में आज के समय में कथाओं का गाना अति आवश्यक है और गौशाला की पवित्र भूमि पर कथा करने से आज जो संपूर्ण विश्व गौ माता के भयानक बीमारी लंपी से परेशान हैं उसके लिए भी परम पूज्य बापूजी ने व्यासपीठ के माध्यम से सभी भक्तों को गौ सेवा के लिए प्रेरित किया और आज के समय में गाय माता जो भयानक बीमारी से ग्रसित हो रही है उस से बचाने के लिए भी आवाहन किया Katha नित्य दोपहर 1:00 बजे से 4:00 बजे तक चलेगा और प्रातः सत्र में विशाल शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन नित्य नवरात्र के पावन दिनों में चलेगा|

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