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बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उत्तराखंड को लक्ष्य अवार्ड


सूबे के तीन जनपदों के जिला चिकित्सालय नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्स (एनक्यूएएस) के मापदंडों पर खरे उतरे हैं। इसके लिये तीनों जनपदों के अस्पतालों को एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन मिला है। जिसमें देहरादून, हरिद्वार एवं ऊधमसिंह नगर जिला शामिल है। इन जिला अस्पतालों में बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उत्तराखंड को वर्ष 2020-21 का लक्ष्य इम्प्लीमेंटेशन इन लेबर रूम का फर्स्ट रनर अप अवार्ड मिला।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

देहरादून, 30 सितम्बर 2022 सूबे के तीन जनपदों के जिला चिकित्सालय नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्स (एनक्यूएएस) के मापदंडों पर खरे उतरे हैं। इसके लिये तीनों जनपदों के अस्पतालों को एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन मिला है। जिसमें देहरादून, हरिद्वार एवं ऊधमसिंह नगर जिला शामिल है। इन जिला अस्पतालों में बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उत्तराखंड को वर्ष 2020-21 का लक्ष्य इम्प्लीमेंटेशन इन लेबर रूम का फर्स्ट रनर अप अवार्ड मिला। सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण एवं विस्तारीकरण को लेकर राज्य सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत के सख्त निर्णयों के उपरांत प्रदेश के चिकित्सालयों की सूरत बदलने लगी है। यही वहज है कि प्रदेश के तीन जनपदों के जिला अस्पताल नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्स (एनक्यूएएस) के मापदंडों पर खरे उतरे हैं। जिसमें देहरादून, हरिद्वार एवं ऊधमसिंह नगर शामिल है। इन जिलों के जिला अस्पतालों में एनक्यूएएस मानकों के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध की जा रही है। जिसके चलते तीनों जिला अस्पतालों को एनक्यूएस सार्टिफिकेशन प्राप्त हुआ। इन अस्पतालों में बेहत्तर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड को वर्ष 2020-21 के लक्ष्य इम्प्लीमेंटशन इन लेबर रूम का फर्स्ट रनर अप का अवार्ड प्रदान किया गया। भारत सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष नेशनल क्वालिटी इंश्योरेंस स्टैंडर्स के तहत तय मानकों को पूरा करने वाले चिकित्सालयों को एनक्यूएएस सार्टिफिकेशन के साथ वित्तीय सहायता प्रदान करता है। एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन राष्ट्रीय स्तर पर होता है। अस्पतालों के सर्टिफिकेशन के लिये 450 से ज्यादा संकेतकों का फीडबैक लिया जाता है। एनक्यूएएस में बायोमेडिकल वेस्ट, लिस्ट की एनओसी, एक्सरे का एवीआरवी, फायर एनओसी, मरीजों का फीडबैक, स्टाफ, साफ-सफाई, ओटी में सुविधा, दवाओं की व्यवस्था समेत अन्य कई छोटे छोटे बिन्दुओं को देखा जाता है।

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