शà¥à¤°à¥€ अखंड परशà¥à¤°à¤¾à¤® अखाड़ा के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में शà¥à¤°à¥€ परशà¥à¤°à¤¾à¤® घाट गोविंदपà¥à¤°à¥€ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में नवरातà¥à¤°à¤¿ के पावन अवसर पर नौ दिवसीय शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ देवी à¤à¤¾à¤—वत कथा के षषà¥à¤Ÿà¤® दिवस की कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ कराते हà¥à¤ कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¤¾à¤—वताचारà¥à¤¯ पंडित पवन कृषà¥à¤£ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने बताया नवरातà¥à¤°à¤¿ के नौ दिनों में कनà¥à¤¯à¤¾ पूजन à¤à¤¸à¥‡ मां à¤à¤—वती पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाती है जो à¤à¥€ मां à¤à¤—वती की उपासना करने वाले हैं उन सब को कनà¥à¤¯à¤¾ पूजन में विशेष रà¥à¤ª से इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिà¤à¥¤
रिपोर्ट - ऑल नà¥à¤¯à¥‚ज़ बà¥à¤¯à¥‚रो
शà¥à¤°à¥€ अखंड परशà¥à¤°à¤¾à¤® अखाड़ा के ततà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में शà¥à¤°à¥€ परशà¥à¤°à¤¾à¤® घाट गोविंदपà¥à¤°à¥€ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में नवरातà¥à¤°à¤¿ के पावन अवसर पर नौ दिवसीय शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ देवी à¤à¤¾à¤—वत कथा के षषà¥à¤Ÿà¤® दिवस की कथा का शà¥à¤°à¤µà¤£ कराते हà¥à¤ कथा वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¤¾à¤—वताचारà¥à¤¯ पंडित पवन कृषà¥à¤£ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने बताया नवरातà¥à¤°à¤¿ के नौ दिनों में कनà¥à¤¯à¤¾ पूजन à¤à¤¸à¥‡ मां à¤à¤—वती पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाती है जो à¤à¥€ मां à¤à¤—वती की उपासना करने वाले हैं उन सब को कनà¥à¤¯à¤¾ पूजन में विशेष रà¥à¤ª से इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिठशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने बताया देवी à¤à¤¾à¤—वत महापà¥à¤°à¤¾à¤£ में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है कनà¥à¤¯à¤¾ पूजन के लिठकनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की उमà¥à¤° दो वरà¥à¤· से कम और दस वरà¥à¤· से अधिक न हो। à¤à¤¾à¤—वताचारà¥à¤¯ पंडित पवन कृषà¥à¤£à¤¾ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने बताया दो साल की कनà¥à¤¯à¤¾ को कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ कहा गया है। इस सà¥à¤µà¤°à¥‚प के पूजन से सà¤à¥€ तरह के दà¥à¤–ों और दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ का नाश होता है। तीन वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ को तà¥à¤°à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ कहा गया है। à¤à¤—वती तà¥à¤°à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ के पूजन से धन लाठहोता है। चार वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ को कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कहा गया है। देवी कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ के पूजन से जीवन के सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सफलता और सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। पांच वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ को रोहिणी माना गया है। माठके रोहणी सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा करने से जातक के घर परिवार से सà¤à¥€ रोग दूर होते हैं। इस उमà¥à¤° की कनà¥à¤¯à¤¾ को कालका देवी का रूप मानी जाती है। मां के कालिका सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा करने से जà¥à¤žà¤¾à¤¨,बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿,यश और सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विजय की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। सात वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ माठचणà¥à¤¡à¤¿à¤•à¤¾ का रूप है। इस सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा करने से धन,सà¥à¤– और सà¤à¥€ तरह के à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। आठसाल की कनà¥à¤¯à¤¾ माठशामà¥à¤à¤µà¥€ का सà¥à¤µà¤°à¥‚प हैं। इनकी पूजा करने से यà¥à¤¦à¥à¤§,नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤²à¤¯ में विजय और यश की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। इस उमà¥à¤° की कनà¥à¤¯à¤¾ को साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤—ा का सà¥à¤µà¤°à¥‚प मानते है। मां के इस सà¥à¤µà¤°à¥‚प की अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ करने से समसà¥à¤¤ विघà¥à¤¨ बाधाà¤à¤‚ दूर होते हैं,शतà¥à¤°à¥à¤“ं का नाश होता है और कठिन से कठिन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। दस वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ के सामान मानी जाती हैं। देवी सà¥à¤à¤¦à¥à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥‚प की आराधना करने से सà¤à¥€ मनवांछित फलों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है और सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं । तथा शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी का कहना है à¤à¤¾à¤—वत महापà¥à¤°à¤¾à¤£ में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है कि 10 वरà¥à¤· से ऊपर कनà¥à¤¯à¤¾ नहीं किशोरी खलाई जाती है पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• देवी à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को मां à¤à¤—वती की पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के लिठकनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का पूजन अवशà¥à¤¯ करना चाहिठकनà¥à¤¯à¤¾ पूजन करने सही मां à¤à¤—वती पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर के मनोवांछित वर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है इस अवसर पर पंडित अधीर कौशिक जी ने बताया समय-समय पर शà¥à¤°à¥€ अखंड परशà¥à¤°à¤¾à¤® अखाड़ा के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥ à¤à¤¾à¤—वत कथा राम कथा शिव पà¥à¤°à¤¾à¤£ की कथा à¤à¤µà¤‚ देवी à¤à¤¾à¤—वत की कथाओं का आयोजन किया जाता है रहा है à¤à¤µà¤‚ आगे à¤à¥€ किया जाà¤à¤—ा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पहले समय पर गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² हà¥à¤† करते थे जिनमें शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ शासà¥à¤¤à¥à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया जाता था परंतॠआज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय पर धीरे-धीरे गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² परंपरा समापà¥à¤¤ होती जा रही है à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ à¤à¤µà¤‚ शासà¥à¤¤à¥à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो रही है हमारा संकलà¥à¤ª है शà¥à¤°à¥€ अखंड परशà¥à¤°à¤¾à¤® अखाड़ा के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सनातन धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ आतà¥à¤®à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिठदेश और समाज की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठशासà¥à¤¤à¥à¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ आतà¥à¤® कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठआधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठसनातन परंपराओं को जीवित रखने के लिठसमय-समय पर शासà¥à¤¤à¥à¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पंडित अधीर कौशिक जी ने बताया कि यदि सà¤à¥€ का साथ सहयोग बना रहा तो इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के आयोजन शà¥à¤°à¥€ अखंड परशà¥à¤°à¤¾à¤® अखाड़ा के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आगे à¤à¥€ होते रहेंगे इस पावन अवसर पर यशपाल शरà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤–à¥à¤¯ अतिथि अरà¥à¤£ शरà¥à¤®à¤¾ दिवेश शरà¥à¤®à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• डायरेकà¥à¤Ÿà¤° डायरेकà¥à¤Ÿà¤° पंकज शरà¥à¤®à¤¾ वरिषà¥à¤ अतिथि अधà¥à¤¯à¤¨ शरà¥à¤®à¤¾ निखिल कशà¥à¤¯à¤ª माधव ठाकà¥à¤° हरà¥à¤· कशà¥à¤¯à¤ª गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ अंकित कà¥à¤®à¤¾à¤° सोनू वरना शरà¥à¤®à¤¾ सà¥à¤·à¤®à¤¾ शरà¥à¤®à¤¾ सोनिया कौशिक पूजा शरà¥à¤®à¤¾ शालू कौशिक मनोज मेहता अशà¥à¤µà¤¨à¥€ सैनी रविकांत शरà¥à¤®à¤¾ जलज कौशिक, राहà¥à¤² वशिषà¥à¤ नीलू वशिषà¥à¤ सोनू अरोड़ा संदीप कौशिक अजय कौशिक पवन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ रोहित शरà¥à¤®à¤¾ बीनू à¤à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ आदि ने मां à¤à¤—वती का पूजन किया ।