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बुलंदशहर श्री मोहन कुटी मैं राष्ट्र कल्याण की भावन से सामुहिक गायत्री मंत्र जप


संत मोहन बाबा की तप स्थली पर सिध्दाश्रम श्री मोहन कुटी न्यास द्वारा संचालित श्री विष्णु चैतन्य वृध्दाश्रम के पावन प्रांगण शारदीय नवरात्रि पर्व की पुण्य बेला में राष्ट्र कल्याण की भावन से सामुहिक गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान एवं श्रीराम कथा का वाचन युगद्रष्टा वेदमूर्ति तपोनिष्ट पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के दिव्य संरक्षण में उनके शिष्य अशोक कुमार गर्ग युग प्रहरी के द्धारा श्रीराम कथा सुनाते कहा कि महाराजा दशरथ श्रीराम विवाह कराकर जब जनकपुरी से अयोध्या में आये तब से अयोध्या में नित्य नये मंगल हो रहे हैं।

रिपोर्ट  - à¤‘ल न्यूज़ ब्यूरो

संत मोहन बाबा की तप स्थली पर सिध्दाश्रम श्री मोहन कुटी न्यास द्वारा संचालित श्री विष्णु चैतन्य वृध्दाश्रम के पावन प्रांगण शारदीय नवरात्रि पर्व की पुण्य बेला में राष्ट्र कल्याण की भावन से सामुहिक गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान एवं श्रीराम कथा का वाचन युगद्रष्टा वेदमूर्ति तपोनिष्ट पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के दिव्य संरक्षण में उनके शिष्य अशोक कुमार गर्ग युग प्रहरी के द्धारा श्रीराम कथा सुनाते कहा कि महाराजा दशरथ श्रीराम विवाह कराकर जब जनकपुरी से अयोध्या में आये तब से अयोध्या में नित्य नये मंगल हो रहे हैं। नगर मैं चारों तरफ आनंद के बाजे बज रहे हैं। श्रीराम के रूप,गुण,शील और स्वभाव को देखकर एवं सुनकर राजा दशरथ अत्यंत आनन्दित हो रहे हैं। सभी अयोथ्या वासियों की अभिलाषा है कि अब राजा दशरध को जीते जी श्रीराम को युवराज पद दे देना चाहिए। एक दिन स्वाभाविक रूप से अपने मुकुठ को सीधा करने के लिये राजा दर्पण में अपना मुख देख रहे थे तब उन्होंने देखा कान पास सफेद बाल हो गये हैं,उन्होंने मन में विचार किया कि श्रीराम को युवराज पद दे देना चाहिए। श्रवन समीप भय सित केसा,मनहुं जरठपनु अस उपदेसा। ! राजा दशरथ ने अपना विचार गुरू वशिष्ठ जी को बतलाया ,तब गुरू वशिष्ठ जी ने कहा राजन अब आप श्री राम को युवराज बना दीजिए।

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