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गाँधी एवं शास्त्री जी की जयंती मनाई


उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कुलपति प्रोफेसर दिनेशचंद्र शास्त्री ने दोनों महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

हरिद्वार। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई। कुलपति प्रोफेसर दिनेशचंद्र शास्त्री ने दोनों महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कुलपति ने कहा कि भारत की धरती में समय समय पर अनेक महापुरुष पैदा हुए हैं,उन्ही रत्नों में महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री भी थे।उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री जी की गिनती देश के सर्वोच्च प्रतिष्ठित नेताओं में होती है जिन्होंने राजनीतिक शुचिता के उदाहरण भारतवर्ष में पैदा किये। पाकिस्तान से युद्ध के समय शास्त्री जी ने अपने सभी व्यक्तिगत खर्चों में कटौती कर देश हित में पैसे बचाने की अपील देश वासियों से की। उस वक्त अपना घर चलाने के लिये शास्त्री जी अपनी धर्मपत्नी को 400 रुपये दिया करते थे, एक दिन उन्होंने अपनी धर्मपत्नी से पूछा कि घर का खर्च कितने में चल सकता है उनकी पत्नी ने बताया कि 300 में चल सकता है तो शास्त्री जी ने बताया कि अब में केवल 375 रुपये ही दे पाऊँगा, कोशिश कीजिये कि 25 रुपये की कटौती हो सके।शास्त्री जी के पास जमा पूंजी बहुत कम थी सारे पैसे वह देश पर ही खर्च कर दिया करते थे। कुलपति ने कहा कि शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए अपने पद का कभी दुरुपयोग नहीं किया, उनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था। इसी तरह महात्मा गांधी जी का जीवन भी अनुकरणीय रहा है, अहिंसा के बल पर देश को स्वतंत्र कराने का संकल्प गांधी जी ने पूरा कर दिखाया,यही कारण था कि अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा।गाँधी जी का जीवन अत्यन्त सरल और दूसरों के लिए प्रेरणा दायक था। कुलपति ने गांधी जी के जीवन से जुड़े हुए अनेक प्रसंगों को साझा किया। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने महात्मा गाँधी के उच्च आदर्शों को जीवन में उतारने पर बल दिया।उन्होंने कहा ऐसे महापुरुषों की जयन्तियां हमें प्रेरणा देती हैं और श्री लाल बहादुर शास्त्री जैसे लोग आज भी अपनी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा के लिए याद किये जाते हैं। कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारी अनुसेवक राजेन्द्र घुघतियाल का सम्मान भी किया गया।

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