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सनातन धर्म संस्कार एवं संस्कृति का संरक्षण करने वाले पर्वों का गुलदस्ता है


सनातन धर्म संस्कार एवं संस्कृति का संरक्षण करने वाले पर्वों का गुलदस्ता है। जिसका प्रत्येक पुष्प सुख, समृद्धि एवं सामाजिक समरसता का संदेश देता है।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 12 अगस्त। सनातन धर्म संस्कार एवं संस्कृति का संरक्षण करने वाले पर्वों का गुलदस्ता है। जिसका प्रत्येक पुष्प सुख, समृद्धि एवं सामाजिक समरसता का संदेश देता है। उक्त उद्गार हैं श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती महाराज के जिन्होंने विष्णु गार्डन स्थित आश्रम में श्रावण मास के अन्तिम सोमवार को आयोजित महारुद्राभिषेक में पधारे भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। देवाधिदेव महादेव को सृष्टि का सर्वशक्तिमान एवं सहृदयवान भगवत स्वरुप शक्ति बताते हुए कहा कि विश्व में सर्वाधिक भक्त भोलेनाथ के ही हैं। क्योंकि वे सामान्य आराधना से ही प्रसन्न हो जाते हैं। श्रावण मास की विशिष्टताओं की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसी माह में गंगा अपने तटों की स्वच्छता करती है और जीव-जन्तु व वनस्पतियों की सर्वाधिक उत्पत्ति भी इसी माह में होती है। श्रावण मासान्त आने वाले श्रावणी पर्व एवं स्वतंत्रता दिवस को विशेष संयोग बताते हुए उन्होंने कहा कि एक तरफ सम्पूर्ण राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता पर गौरवान्वित होगा तो बहने अपने भाईयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर सर्वमंगल की कामना करेंगी। ऐसी सर्वहितकारी व्यवस्थायें केवल सनातन धर्म एवं उसके पर्वों में ही हैं। श्रावणी एवं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने का संकल्प लेने का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की सरकारें भी सती प्रथा एवं तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए अनवरत प्रयासरत हैं और अपने देश की सभ्यता को आदर्श रुप में स्थापित रखने के लिए हम सब को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। तभी देश और समाज का कल्याण होगा। अन्त में सभी भक्त एवं संतों ने भगवान आशुतोष की आरती उतार कर विश्व कल्याण की कामना की।

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