महिला जननांग विकृति हेतु जीरो टॉलरेंस अंतर्राष्ट्रीय दिवस


महिला जननांग विकृति, लैंगिक असमानता, लड़कियों और महिलाओं के अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, उनकी क्षमताओें, मानव अधिकार, यौन शिक्षा और मासिक धर्म के प्रति जागरूकता हेतु परमार्थ निकेतन में अनेक कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है ताकि समाज में लैंगिक समानता को स्थापित किया जा सके। लड़कियों और महिलाओं को स्वयं की सुरक्षा और शारीरिक देखभाल के लिये जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें जननांग विघटन जैसी समस्याओं से बचाया जा सके।

रिपोर्ट  - allnewsbharat.com

ऋषिकेश। महिला जननांग विकृति, लैंगिक असमानता, लड़कियों और महिलाओं के अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, उनकी क्षमताओें, मानव अधिकार, यौन शिक्षा और मासिक धर्म के प्रति जागरूकता हेतु परमार्थ निकेतन में अनेक कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है ताकि समाज में लैंगिक समानता को स्थापित किया जा सके। लड़कियों और महिलाओं को स्वयं की सुरक्षा और शारीरिक देखभाल के लिये जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें जननांग विघटन जैसी समस्याओं से बचाया जा सके। महिला जननांग विकृति के उन्मूलन को बढ़ावा देने के लिए हम सभी को एक साथ आना होगा, इसके लिये सभी के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है ताकि पूरे समुदायों को जागरूक किया जा सके। मादा जननांग विघटन की घटनायें चाहे वह किसी भी परिस्थिति में की गयी हो यह नारी के शरीर की शारीरिक अखंडता का उल्लंघन है इसलिये इसे अन्याय की श्रेणी में देखा जाना चाहिये। किसी भी कीमत पर नारी की संपूर्णता, शारीरिक गरिमा एवं गोपनीयता का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिये। मादा जननांगों का विघटन अर्थात ईश्वर की व्यवस्था में एक प्रकार से व्यवधान डालना है।“ बिना चिकित्सा कारणों से महिला जननांग को बदलना, घायल करना और महिला जननांग को विकृति करना सामाजिक व्यवस्थाओं के विरूद्ध है। इस तरह की घटनाओं से मानवाधिकारों का हनन होता है, इससे लड़कियों और महिलाओं की अखंडता का भी उल्लंघन होता है। मादा जननांग विकृति से गुजरने वाली लड़कियों को गंभीर दर्द, तनाव, अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण जैसी अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, साथ ही उनके यौन, प्रजनन और मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। महिला जननांग विकृति (एफजीएम) में गैर-चिकित्सीय कारणों से महिला जननांग को बदलने या चोट पहुंचाने जैसी सभी प्रक्रियाएं शामिल हैं, इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ ही लैंगिक असमानता को भी दर्शता है।

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