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गुरू कृपा से सभी अवगुण मिट जाते हैं-स्वामी कृष्णानन्द महाराज


स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम भूपतवाला में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज के श्रद्धांजलि समारोह के अवसर पर संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी कृष्णानंद ने कहा कि सच्चा मित्र वही है। जो गरीबी, अमीरी के फर्क को नहीं देखता। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ मित्रता का अद्भुत उदाहरण हमारे बीच प्रस्तुत किया है। हमें भी वैसा ही आचरण करना चाहिए। जिसमें कभी किसी को छोटा या बडा होने का एहसास ना हो।

रिपोर्ट  - 

हरिद्वार, 16 अगस्त। स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम भूपतवाला में आयोजित ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज के श्रद्धांजलि समारोह के अवसर पर संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी कृष्णानंद ने कहा कि सच्चा मित्र वही है। जो गरीबी, अमीरी के फर्क को नहीं देखता। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के साथ मित्रता का अद्भुत उदाहरण हमारे बीच प्रस्तुत किया है। हमें भी वैसा ही आचरण करना चाहिए। जिसमें कभी किसी को छोटा या बडा होने का एहसास ना हो। उन्होंने कहा कि जो संतों की शरण में आ जाता है। गुरु की कृपा और मेहर से उसके सभी अवगुण मिट जाते हैं। गुरू कृपा प्राप्त करने के लिए हमें बार-बार सतगुरु के दरबार में जाना चाहिये। ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज ने जीवन पर्यन्त मानव सेवा में समर्पित भाव से कार्य किए। उन्होंने हमेशा ही गौ, गंगा संरक्षण का संदेश समाज को प्रसारित किया। श्रीमहंत विनोद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज तपस्वी संत थे। उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण कर मानव सेवा में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि सच्चे संत हमेशा ही समाज को संदेश देने का काम करते हैं। सनातन परंपराओं का निर्वहन करने में ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द की जितनी प्रशंसा की जाए उतना कम है। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर बोलते हुए कहा कि अनेकों बलिदानों से देश को आजादी मिली। वीर शहीदों के सम्मान में कोई कोर कसर नहीं होनी चाहिए। युवाओं में देश भक्ति का जज्बा हमेशा ही राष्ट्र को उन्नति की और अग्रसर करता है। ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज के अधूरे कार्यो को स्वामी कृष्णानन्द महाराज पूरा कर रहे हैं। म.म.स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। गौ और गंगा सेवा उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए समाजसेवा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी कृष्णानन्द महाराज अपने गुरू के दिखाए मार्ग का अनुसरण करते उनके द्वारा शुरू किए गए सेवा प्रकल्पों को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री महाराज ने कहा कि संत की वाणी ही समाज का मार्गदर्शन करती है। ब्रह्मलीन स्वामी दीप्तानन्द अवधूत महाराज ने हमेशा ही सनातन परंपराओं को देश दुनिया में प्रचारित प्रसारित करने का काम किया। उनके जीवन से सभी को प्रेरणा मिलती है। इस अवसर पर श्रीमहंत साधनानन्द, महंत कमलदास, स्वामी अवधेशानन्द, स्वामी जगदीशानन्द, आचार्य पारसमुनि, महंत मोहनसिंह, स्वामी राजेंद्रानन्द, स्वामी ओमस्वरूप, राजमाता आशा भारती, स्वामी नित्यानन्द, स्वामी प्रकाशानन्द, स्वामी रामस्वरूप ब्रह्मचारी, वनीत राणा, विदित शर्मा, आकाश भाटी, अनिरूद्ध भाटी, दीपांशु विद्यार्थी, विनीत जौली आदि सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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